व्रज – पौष कृष्ण अष्टमी, सोमवार, 27 दिसंबर 2021
विशेष :– कल प्रभुचरण श्री गुसांईजी का प्राकट्योत्सव है अतः आज उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला हल्का श्रृंगार धराया जाता है.लगभग सभी बड़े उत्सवों के एक दिन पूर्व लाल वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है और इसे उत्सव के आगम का श्रृंगार कहा जाता है.
- आज दिनभर उत्सव की बधाई एवं ढाढ़ी के कीर्तन गाये जाते हैं.
- आज से प्रतिदिन श्रीजी को शयन उपरांत अनोसर भोग में एवं कल अर्थात नवमी से राजभोग उपरांत अनोसर भोग में शाकघर में सिद्ध सौभाग्य सूंठ अरोगायी जानी आरंभ हो जाएगी.
- केशर, कस्तूरी, सौंठ, अम्बर, बरास, जाविन्त्री, जायफल, स्वर्ण वर्क, विविध सूखे मेवों, घी व मावे सहित 29 मसालों से निर्मित सौभाग्य-सूंठ के बारे में कहा जाता है कि इसे खाने वाला व्यक्ति अत्यन्त सौभाग्यशाली होता है.
- आयुर्वेद में भी शीत एवं वात जन्य रोगों में इसके औषधीय गुणों का वर्णन किया गया है अतः विभिन्न शीत एवं वात जन्य रोगों, दमा, जोड़ों के दर्द में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
- नाथद्वारा के श्रीजी मंदिर में निर्मित इस सामग्री को प्रभु अरोगे पश्चात देश-विदेश के वैष्णव मंगाते हैं.
- श्रीनाथजी के श्रृंगार राजभोग के दर्शन :-
- साज सेवा में आज लाल रंग की मखमल की, सुनहरी लप्पा की ज़री की किनारी के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं प्रभु के स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है. चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं. पान घर की सेवा में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है. सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र सेवा में आज प्रभु को लाल रंग की साटन का बिना किनारी का अड़तू का सूथन, घेरदार वागा, चोली एवं मोजाजी धराये जाते हैं. उर्ध्व भुजा की ओर सुनहरी किनारी से सुसज्जित कटि-पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज छोटा चार माला का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण पन्ना एवं स्वर्ण के धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लाल रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं. ठाडी लड़ मोती की धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं. प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है. खेल के साज में पट लाल व गोटी स्वर्ण की आती है. आरसी श्रृंगार में स्वर्ण की एवं राजभोग में बटदार दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा में आज दिनभर उत्सव की बधाई एवं ढाढ़ी के कीर्तन गाये जाते हैं.
मंगला : सोहेला नन्द महर घर
राजभोग : चिरजीयो लाल रानी तेरो
आरती : श्रीमद वल्लभ रूप सुरंगे
शयन : लाल के गुण गाऊं
मान : हो तोसो कहां कहू आली री
पोढवे : लाल लाडली समग ले पोढ़ीये - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है. नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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