व्रज – पौष कृष्ण अमावस्या, रविवार, 02 जनवरी 2022
विशेष :- श्रीनाथजी मंदिर के तिलकायत श्री राकेशजी महाराज के पुत्र परचारक महाराज श्री विशालबावा का 42 वां जन्मदिवस है. दिव्य शंखनाद परिवार की तरफ़ से श्री विशालबावा सहित समस्त तिलकायत परिवार को जन्मदिवस की बधाई.
श्रीजी का सेवाक्रम :–
- उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहलीज को पूजन कर हल्दी से मांडा जाता हैं एवं आशापाल के पत्तों से बनी सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- सभी समय झारीजी में यमुनाजल भरा जाता है.
- दो समय की आरती थाली में की जाती है.
- राजभोग में सोने का बंगला आता हैं.
- श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में मनोर (इलायची-जलेबी) के लड्डू, दूधघर में सिद्ध की गयी केसरयुक्त बासोंदी व शाकघर में सिद्ध दो प्रकार के फलों के मीठा का अरोगाये जाते हैं.
- राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता व सखड़ी में मीठी सेव, केशरयुक्त पेठा, व छहभात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात और नारंगी भात) आरोगाये जाते हैं.
- शामको भोग समय मगद के बड़े नग आरोगाये जाते हैं.
- संध्या-आरती में मनोरथ के भाव से श्रीजी और श्री नवनीतप्रियाजी में विविध सामग्रियां, दूधघर सामग्री सहित अरोगाये जाते हैं.
- श्री विशाल बावा के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में श्रीजी में आज दीपदान एवं हटड़ी का मनोरथ है.
श्रीजी दर्शन :- - साज सेवा में आज श्याम रंग के आधारवस्त्र के ऊपर झाड़ फ़ानुश एवं सेवा करती सखियों की सुनहरी कशीदे के ज़रदोशी के काम वाली तथा पुष्पों के सज्जा के कशीदे के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख तेह बिछाई जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को केसरी रंग का खीनखाब का सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, घेरदार वागा, चोली एवं मैरुन (कत्थई) ज़री की फतवी धरायी जाती है.
- मैरुन रंग के मोजाजी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के लट्ठा के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण हीरा मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी खीनखाब के चीरा (ज़री की पाग) के ऊपर जड़ाऊ लूम तुर्रा सुनहरी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में एक जोड़ी गेड़ी के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- कस्तूरी, कली एवं कमल माला धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में नवरत्न के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि उत्सववत धराये जाते है.
- खेल के साज में पट केसरी एवं गोटी जड़ाऊ की धरायी जाती हैं.
- आरसी लाल मख़मल की दिखाई जाती हैं.
- श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : वाही पे उतारो राई लोन
राजभोग : विमल कदम्ब मूल अवलंबित
आरती : आज तो बधाई बाजे
शयन : लालन मुख की लोनाई
मान : लाल तोही नेनन में ही राखों
पोढवे : रुच रुच सेज बनाई
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है. - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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