‘‘साहित्य वह सशक्त माध्यम है जो समाज को व्यापक रूप से प्रभावित करता है। यह समाज में प्रवोधन की प्रक्रिया का सू़त्रपात करता है। लोगों को प्रेरित करने का कार्य करता है और जहा एक और यह सत्य के सुखद परिणामों को रेखाकित करता है। वहीं असत्य का दुखद अंत कर सीख व शिक्षा प्रदान करता है। ’’ यह शब्द डा0 अनुला जी मौर्य कुलपति, जगदगुरू रामानन्द राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय , जयपुर राजस्थान ने साहित्य मण्डल श्रीनाथद्वारा के पाटोत्सव ब्रजभाषा समारोह के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि उद्बोधन में कहे। उन्होंने अपने उदबोधन में कहा कि साहित्य व्यक्ति और उसके चरित्र निर्माण में सहायक होता है। समाज के नवनिर्माण में साहित्य की केन्द्रीय भूमिका होती है। आज साहित्य मण्डल द्वारा साहित्य के उन्नयन और संबर्द्धन से समाज को दिशा बोध एवं उसके नवनिर्माण में महत योगदान है।
समारोह की अध्यक्षता पूज्य विनय बाबा साहब पीठाधीश्वर कोटा ने की । उन्होंने कहा आज साहित्य से समाज में अंतर बढ़ रहा है। इससे प्रत्येक समाज में संस्कारों का ह्रास हो रहा हैं। विसंगतियों , विद्रूपताओं एवं विरोधाभासों ने कालखण्ड में स्वयं को विस्तारित किया है। सामाजिक विकास विनाश में बदल रहा है।
कर्यक्रम के अतिविशिष्ट अतिथि प्रो0 अमर सिंह जी वधान ने कहा कि साहित्य मण्डल का अतीत हमारे लिये प्रेरक है। जो साहित्य सम्पन्नता और समृद्धता यहाॅं हमें मिलती हैं वैसी किसी अन्य संस्था में नहीं मिल सकती । यह साहित्य संस्कृति का संरक्षक और भविष्य का पथ प्रदर्शक है। यहाॅं संस्कृति द्वारा संकलित होकर ही साहित्य लोकमंगल की भावना से समन्वित होता है। यही कारण है कि ब्रज संस्कृति लोकमंगल की भावना से पूर्णतया गुंथी होती है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि राज्य सभा उपनिदेशक डा0विजय लक्ष्मी जी, रामेश्वर शर्मा रामू भैया ने अपने विचारों से साहित्य एवं साहित्यकारों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
सत्र की शुरुआत मथुरा की प्रसिद्ध कलाकार श्रीमती भारती शर्मा द्वारा ब्रज के गीत एवं नृत्यों द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इन नृत्य एवं गीतों केा उपस्थित दर्शक एवं श्रेाताओं ने काफी सराहा। इस अवसर पर ब्रजभाषा उपनिषद में डा0 अंजीव अंजुम, दौसा, श्री लेाकेन्द्र नाथ जी कौशिक, श्री कृष्ण जी शरद ,कासगंज, श्री अरविन्द कुमार कौशिक, डीग, ने विविध विषयों पर अपने पत्र आलेखों का वाचन किया।इस अवसर पर संस्थान की मुख पत्रिका हरसिंगार के हिन्दी लाओ देश बचाओ बिशेषांक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर संस्थान के प्रधानमंत्री श्री श्याम प्रकाश देवपुरा की संपादित कृति ‘श्याम सुधा रस’ एवं साहित्यकार डा0 अंजीव अंजुम की ब्रजभाषा काव्यकृति ‘ब्रज गुंजन’ का लोकार्पण सहित संस्थान द्वारा प्रो0 अनुला मौर्य कुलपति जगद्गुरु रामानंद राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर राजस्थान को साहित्य ज्योत्सना उपाधि, श्री सियाराम शर्मा एवं श्री देवनारायण जी जैमन को समाज शिक्षा एवं साहित्य सेवा में प्रशंसनीय कार्य हेतु अभिवंदित किया गया। ब्रजभाषा का श्रेष्ठ पाॅंच हजार एक सौ राशि का श्री रामशरण जी पितलिया स्मृति सम्मान फिरोजाबाद के विख्यात वरिष्ठ साहित्यकार डा0 रामसनेही लाल यायावर एवं ग्यारह हजार रुपये राशि का श्री गणेशवल्लभ राठी स्मृति सम्मान मथुरा के श्री अशोक कुमार शर्मा नीलेश को अभिवंदित किया गया। इस अवसर पर ब्रजभाषाविभूषण की मानद उपाधि से मथुरा के श्री सुभाष चंद जी गुप्त मुसाफिर, श्री रामसिंह जी साद, अटलराम चतुर्वेदी , मुम्बई के नवीन सी चतुर्वेदी , भरतपुर के श्री नरेन्द्र निर्मल, राधाकुण्ड के तेजवीर सिंह तेज,कामवन के श्री रेवती प्रसाद शर्मा, एवं श्री पंकज पाराशर एवं बल्देव के श्री नारायण सिंह को विभूषित किया गया।इस अवसर पर समस्यापूर्ति कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। इसमें कौन सहाय करै, घेर लये सब गैल गिरारे, विधि के विधान कॅंू , मीठे मीठे बोलें बोल समस्याओं पर श्री अशोक कुमार धाकरे, भरतपुर, आचार्य नीरज शास्त्री मथुरा, कमलेश कमल कोटा, श्री मती रेणु उपाध्याय, मथुरा, दुलीचंद लोधा, कामवन, श्री कमल सिंह कमल, कामवन, हेमेन्द्र भारतीय, कामवन, श्री पवन कुमार नीरज , कामवन ने पूर्ति की। इस अवसर पर देश के विविध क्षेत्रों से पधारे साहित्यकारों सहित स्थानीय स्रोताओं ने भी भाग लियां।
रात्रि सत्र:- साहित्य मण्डल श्री नाथद्वारा द्वाराआयेाजित पाटोत्सव ब्रजभाषा समारेाह साहित्य मण्डल के प्रेक्षागृह में अखिल भारतीय ब्रजभाषा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर एवं वरिष्ठ साहित्यकार डा0 अमर सिंह जी बधान ने की एंव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री रामेश्वर शर्मा रामू भैया ने की। साहित्य मण्डल के प्रधान मंत्री श्री श्यामप्रकाश देवपुरा के अनुसार कार्यक्रम की शुरुआत माॅं शारदे की वंदना के साथ हुई। वृंदावन के कवि श्री अशोक जी अज्ञ ने माॅं वीणापाणी की वंदना की। वल्देव के कवि श्री राधागोविन्द जी पाठक ने श्री नाथ जी की वंदना एवं कामवन के कवि श्री भगवान मकरंद ने ब्रज वंदना कर कार्यक्रम की शुरुआत की ।
कार्यक्रम में परासौली गोवर्द्धन के कवि श्री गोपाल प्रसाद जी गोप ने अपने छंद के माध्यम से प्रेम एवं श्रृंगार को निरूपित किया। उन्होंने अपने छंद में ‘भोरी भारी गोरी नथवारी को नेह गयो , लम्बी लम्बी लट धॅंूघट को पट खोय गयो’ के द्वारा वर्तमान सामाजिक विसंगतियों पर करारा कटाक्ष भी किया। अलीगढ की कवयित्री श्री पूनम शर्मा ने अपने मार्मिक गीत ‘ मेरे बाबुल बेटी चौं होतु पराई , कैसी जे रीत बनाई , मौकूंू समझि न आई ’ के द्वारा बेटी के महत्व का वर्णन कर लोगों को एक संवेदना से जोड़ा।दौसा के कवि अंजीव अंजुम ने अपनी गीतों में आज की राजनीति को निशाना बनाते हुए कहा ‘ बिठा झोंपड़ी में महलन के सुपने दरसावै, कहाॅं नपुंसक हवा आज बदलाव यहाॅं लावै’ केद्वारा राजनैतिक कटाक्ष किया। व्यंगकार सुरेन्द्र सार्थक की कविता में गरीबी का चित्रण किया।उन्होंने ‘ बालक गरीब कौ यों जिदद कर बैठयौ पापा, बम्म और पटाखें चले शोर होय भारी है;’’ पंक्तियों के माध्यम से गरीब बाल की संवेदना को व्यक्त किया। बल्देव के राधागोविन्द पाठक ने अपनी मधुर गीतों से सभीश्रोताओं के मन को आनंद दिया। उन्होंने हर फूल खिल जाये तो फागुन आय गयौ, गोरी जो मुसकावै तो फागुन आय गयौ, गाकर होली का माहौल बना दिया। भरतपुर के मिठलोने गीतकार एवं व्यंग्यकार श्री हरि ओम हरि ने होरी गीत ‘आगसौं आग कॅंू कैसे भला बुझाओगे , नेह को नीर तो बरसाओगे यार होली में। से होली का आनंद दिलाया। वृंदावन से पधारे कवि अशोक अज्ञ ने अपने कवित्त एवं छंदों के माध्यम से प्रभु श्रीनाथ एवं वृंदावन बिहारी की कृपा का वर्णन किया। उन्होंने श्री नाथ जी की कृृपा पर अपना गीत पढा ‘‘श्रीनाथ कृपा करियोंइतनी , बस लग्यौ रहे आनौ जानौ’’ के द्वारा भक्ति का पूर्ण प्रवाह किया। आगरा के कवि शिवसागर शर्मा ने अपने कलात्मक छंदों से लोगों की वाही वाही लूटी। उन्होंने पनिहारिन के गीतों में ‘कजरारी अॅंखियाॅं पाय घनोई इतरावै कजरा, कजरा तें कहू न बस्याम सबनि कॅंू बिरावै कजरा’’ के माध्यम से श्रोताओं को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया।कार्यक्रम का संचालन कवि श्री सुरेन्द्र सार्थक ने किया। कार्यक्रम से पूर्व सभी कवियों का सहित्य मण्डल की ओर से श्रीनाथ का चित्र, कलम, प्रसाद एवं उत्तरीय ओढाकर स्वागत किया गया।
द्वितीय दिवस:-सत्र के प्रथम सत्र में हिन्दी साहित्य मनीषी मानद उपाधि से महानुभावों को समलंकृत किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा अमर सिंह वधान , विशिष्ट अतिथि रामेश्वर शर्मा , पं0 मदनमोहन शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार उमादत्त शर्मा एवं गुडगाॅंव की साहित्यकार डा सुनीता शर्मा ने कोटा राजस्थान के श्री भगवत सिंह जादोन मयंक , श्री रघुराज सिंह कर्मयोगी , कांकरोली के श्री नरेन्द्र सिंह कछवाहा, जोघपुर के श्रीमती बसंती पंवार, नवादा बिहार की डा राशि सिन्हा, को हिन्दी के सेवी साहित्य कारों का सम्मान किया। पंडित जीवराज जी शर्मा उदयपुर , श्री प्रमोद जी झंवर उदयपुर , श्री दयाशंकर जी पालीवाल श्रीनाथद्वारा को मंचस्थ अतिथियों को सम्पादक शिरोमणि की उपाधियों से विभूषित किया गया। इसी सत्र में ब्रजभाषा की समस्यापूर्ति कार्यक्रम में श्री शिवराम बाढीपुरिया ,कामवन, डा उमाशंकर पाराशरी राही, वृंदावन, श्री राधाकिशन कंजौली, कामवन, श्रीनेतराम नेतू, कामवन, श्री जितेन्द्र सनाढ़य श्री नाथद्वारा , श्री गोरव पालीवाल कांकारोली, ने समस्यापूर्ति की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डा अमर सिंह वधान ने हिन्दी भाषा के उन्नयन एवं परिवर्द्धन हेतु अपने विचार प्रकट किये। पंडित मदन मोहन जी शर्मा ने अपने श्रेष्ठ उद्बोघन से श्रोताओं को अपने विचारों स ेमंत्रमुग्ध किया।
दोपहर के सत्र में कार्यक्रम के अतिथि वरिष्ठ साहितयकार रामसिंह परिहार, भागवत प्रवक्ता एवं विद्वान पण्डित मदन मोहन जी शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डा अमर सिंह जी वधान, विद्वान साहित्यकार एवं उपनिदेशक केन्द्रीय हिन्दी संस्थान डा हेमराज जी मीणा, ने इस अवसर पर बल्देव के वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि श्री राधागोविन्द पाठक जी रचित दो कृतियाॅं ‘मनसुख विरह’ एवं ‘ जे बातहिं जमना तीर की हैं’’ आगरा के जाने माने रचनाकर्मी श्री शिवसागर की कृति ‘‘ब्रहमचर्य बिन जोग सधे ना: शिवसागर पदावली’’ एवं जाने माने रचनाकार हरीलाल मिलन कृत पुस्तक ‘‘दर्पण समय का’ का विमोचन किया।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा कामवन राजस्थान के जाने माने शिक्षा शास्त्री श्री जगदीश प्रसाद गोतम, लोसल राजस्थान के प्रवर विद्वानश्री जयगोविन्द शर्मा एवं श्रीनाथद्वारा के ज्योतिषाचार्य एवं शिक्षाशास्त्री पण्डित दीनदयाल शर्मा को दो हजार एक सौ रूप्ये की राष्शि का श्रीपूरन मल शर्मा स्मृति सम्मान , मथुरा के जाने माने रंगकर्मी पंडित लोकेन्द्र नाथ कौशिक , जयपुर राजस्थान के ब्रजभाषा सेवी श्री बनवारी लालसेानी , मथुरा के जाने माने लोक गीतकार श्री साहब सिंह गुर्जर जी को दो हजार एक सौ रूपये का पंडित सेवाराम शर्मा स्मृति सम्मान, दिया गया।
जानी मानी शिक्षाशास्त्री एवं साहित्य सेवी हापुड से पधारी डा निशा रावत को देा हजार एक सौ रूप्ये की राषि का सम्मान श्रीमती शारदा पाठक स्मृति सम्मान, दिल्ली से पधारी जानी मानी कवयित्री डा विजयलक्ष्मी शर्मा को डा विष्णुचंद्र जी पाठक स्मृति सम्मान से मंचस्था अतिथियों ने विभूषित किया।इसी क्रम में मथुरा के जाने माने लोक कलाकार श्री हर प्रसाद जी राजपूत को श्री गया प्रसाद शर्मा स्मृति सम्मान एवं गावगुड़ा के श्रीकृष्ण गोपाल जोशी शशि कला मेहता स्मृति सम्मान से अलंकृत किया गया।
रात्रि सत्र में भारतीय सांस्कृतिक परिषद , मथुरा के कलाकारों ने श्री अशोक कुमार शर्मा नीलेश के निर्देशन में ब्रजरस माधुरी कार्यक्रम के अंतर्गत ब्रजवंदना, आॅंखमिचैली लीला, बुलाई गई राधा प्यारी, कान्हा बरसाने में आय जईयौ, महारास , घूमर नृत्य , मयूर नृत्य , शिव ताण्डव , फूलों की होली की श्रेष्ठ प्रस्तृति की गई। इस अवसर पर समस्त दर्शकों ने मनोरंजन किया।
रविवार 7 मार्च को प्रातःकालीन सत्र में मुख्य अतिथि पण्डित मदनमोहन जी शर्मा एवं अध्यक्षता प्रोफेसर अमर सिंह जी वधान ने की। इस प्रथम सत्र में श्री नाथद्वारा की प्रतिभाओं का सम्मान किया गया। एवं सर्वोच्च अंक प्राप्त विद्यार्थियों को विद्यार्थी रत्न से सम्मानित किया। इस अवसर पर मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर से पीएच डी उपाधि धारक डाक्टर प्रियंका देवपुरा, राजस्थान लोक सेवा आयेाग अजमेर में वाणिज्य वर्ग संभाग में प्रथम श्री तुषार सनाढय, सी टी ए ई एमटेक श्री भव्य मेहता ,श्री मयंक परमार, सुश्री ऐश्वर्या सनाढय, श्री उगमसिंह चोहान, सुश्री गायत्री माली, सुश्री करिश्मा पालीवाल, सुश्री मनस्वी व्यास, श्री नारायण सिंह राव, सुश्री संतोषी ओड़ , श्री पवन प्रताप सिंह सिसोदिया, सुश्री माध्ुारी जोशी, सुश्री हनी अग्रवाल, सुश्री दीक्षा प्रजापत , श्री अनिल लोहार, सुश्री रीया शर्मा , सुश्री येागेश्वरी पंवार को सम्मनित किया गया।
दोपहर सत्र में सम्मानित मंचस्थ अतिथियों द्वारा श्रीनाथद्वारा के श्रेष्ठ महानुभावों का पुरजन सम्मान एवं श्री नाथद्वारा रत्न से अभिवंदित किया गया। इस अवसर पर श्री नारायण लाल गुर्जर , श्री फतेह लाल गुर्जर, श्री देवकी नन्दन सनाढ़य, श्री गमेरनाथ चैहान, शम्भूसिंह चैहान, श्री भोपाल सिंह चूण्डावत, श्री माधोसिंह चूण्डावत, श्रीरण सिंह कुमावत से पुरजनों को अभिवंदित किया गया।
अंतिम सत्र में श्रीनाथद्वारा के समृद्ध साहित्यकार श्री मुकेश सोहन की नवकृति स्वयंसिद्धा का विमोचन किया गया। इस अवसर पर श्री गोपाल कृष्ण खण्डेलवाल एवं डा ललित श्रीमाली ने पुस्तक की समीक्षा की। इस अवसर पर एक हिन्दी भाषा काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें देश के प्रसिद्ध कवि श्री सुरेन्द्र सार्थक,हरिओम हरि, भरतपुर , गोपाल प्रसाद गोप गोवर्द्धन , अशोक अज्ञ वृंदावन, श्री रामखिलाडी स्वदेशी , आगरा, रामेन्द्र सिंह ब्रजवासी, लखनउ , योगीराज येागी कोटा, रघुराज कर्मयेागी, कोटा, सुरेश शर्मा , भरतपुर, नरेन्द्र निर्मल, भरतपुर , अशोक धाकरे, भरतपुर, उमाशंकर राही , वृंदावन, कमल ंसिंह कमल,कामा, रेनू उपाध्याय, मथुरा , पवन कुमार नीरज , कामां, पंकज पाराशर कामां , अजयकुमार शर्मा मथुरा , नवीन सी चतुर्वेदी , मुम्बई डा अंजीव रावत दौसा ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीहरिओम जी हरि नेकिया।