व्रज – माघ कृष्ण पंचमी, रविवार, 23 जनवरी 2021
विशेष :– आज बसंत-पंचमी का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है. सभी बड़े उत्सवों के पहले उस श्रृंगार का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है.
विक्रमाब्द 1970-71 में तत्कालीन परचारक श्री दामोदरलालजी ने प्रभु प्रीति के कारण अपने पिता और तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी से विनती कर इस श्रृंगार की आज्ञा ली और यह प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया था.
वस्त्र आदि इस रीती के धराये गये कि जैसे बसंतपंचमी आ गयी हो और प्रभु बसंत की गुलाल खेलें हों. तदुपरांत से यह श्रृंगार प्रतिवर्ष धराया जाता है.
बसंत के पूर्व श्रीजी में गुलाल वर्जित होती है अतः पिछवाई एवं वस्त्रों लाल रंग के वस्त्रों को काट कर ऐसा सुन्दर भरतकाम किया गया है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि प्रभु ने गुलाल खेली हो.
श्रीजी दर्शन :-
साज सज्जा में आज श्रीजी में बसंतपंचमी का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है अतः साज एवं वस्त्रादि सभी पर अबीर, गुलाल एवं चौवा से खेले हों ऐसा भरतकाम किया गया होता है. सफ़ेद रंग की पिछवाई में लाल रंग के वस्त्रों को काटकर गुलाल की चिड़ियों के भरतकाम वाली पिछवाई धरायी जाती है.
गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं प्रभु के स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
वस्त्र दर्शन में आज श्रीजी को सफ़ेद साटन के आधार वस्त्र पर पीली, लाल, केसरी एवं श्याम रंग की टिपकियों के भरतकाम वाला सूथन, घेरदार वागा एवं चोली धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं जिसमें रंगीन टिपकियों का भरतकाम किया गया है.
पटका श्वेत मोठड़ा का व मोजाजी मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार आभरण में आज श्रीजी में मध्य का घुटने से दो अंगुल नीचे तक का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
सभी आभरण हीरा, पन्ना, माणक, मोती व स्वर्ण के मिलवा धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की लाल एवं श्याम रंग की टिपकियों के भरतकाम वाली छज्जेदार पाग पर पट्टीदार सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में माणक के चार कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्वेत एवं पीले पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में स्वर्ण के बंटदार वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
आरसी दोनों समय बड़ी डांडी की दिखाई जाती है
खेल के साज में पट चीड़ का व गोटी चाँदी की आती है.
आज के दिन वस्त्र के छोगा, छड़ी भी आते हैं. - श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : मोहन सो मन मान्यो मेरो
श्रृंगार : माई री आज और काल और
राजभोग : बोलत श्याम मनोहर बैठे
शयन : आलीरी कर श्रृंगार सायंकाल
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है. - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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