व्रज – माघ शुक्ल षष्ठी, रविवार, 06 फरवरी 2022
आज श्रीजी को नियम से गुलाबी आभायुक्त चाकदार वस्त्र एवं श्रीमस्तक पर कुल्हे के ऊपर रुपहली चमक का घेरा धराया जाता है. यह श्रृंगार प्रतिवर्ष बसंत-पंचमी के एक दिन पश्चात नियम से होता है. आज दो समय की आरती थाली की आती हैं.
आज से डोलोत्सव तक प्रतिदिन श्रीजी प्रभु में राजभोग दर्शन में गुलाल खेल होगा. श्री नवनीतप्रियाजी को ग्वाल व राजभोग दोनों समां में गुलाल खेलायी जाएगी.
श्री नवनीतप्रियाजी में आज से डोलोत्सव तक फूल-पत्तियों का ही पलना होगा.
श्रीजी दर्शन :-
साज सज्जा : आज श्रीजी में सफ़ेद रंग की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया जाता है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
वस्त्र : आज श्रीजी को सफ़ेद रंग का, सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं लाल रंग के मोजाजी धराये जाते हैं. सभी वस्त्र सुन्दर गुलाबी झाई के होते हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि की टिपकियों से कलात्मक रूप से खेल किया जाता है.
श्रृंगार : आज श्रीजी को वनमाला का (चरणारविन्द तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण लाल मीना के धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर सफ़ेद कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी ज़री (चमक) का घेरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं. बायीं ओर मोती की चोटी धरायी जाती है.
आज अक्काजी वाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, झिने लहरियाँ के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (एक सोना का) धराये जाते हैं.
प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि लाल मीना के धराये जाते है.
खेल के साज में पट चीड़ का एवं गोटी चांदी की आती है.
आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
संध्याकालिन सेवा
संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ व श्रीमस्तक के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लाल कुल्हे धरायी जाती है परन्तु लूम तुर्रा नहीं धराये जाते हैं.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : खेलत बसंत निस पिय संग जागी
राजभोग : हरी रिह ब्रज युवती शत संगे
आरती : बसंत बधावो चलो ब्रज की नारों
शयन : आयो बसंत ऋतू अनूप
पोढवे : खेलत खेलत पोढ़ी श्री राधे
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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