व्रज – फाल्गुन कृष्ण द्वितीया, शुक्रवार, 18 फरवरी 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन :
साज : आज श्रीजी में आज सफ़ेद रंग की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल, चन्दन से खेल किया गया है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है. एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
वस्त्र : आज श्रीजी को गुलाबी रंग लट्ठा का सूथन एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. हरे रंग के मोजाजी एवं मेघश्याम रंग के ठाड़े वस्त्र धराये जाते हैं. सभी वस्त्रों पर अबीर, गुलाल आदि को छांटकर कलात्मक रूप से खेल किया जाता है. प्रभु के कपोल पर भी गुलाल, अबीर लगाये जाते हैं.
श्रृंगार : आज श्रीजी को फ़ागण का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ी मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी जमाव (नागफणी) का कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्प की छड़ी, फिरोज़ी मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं. प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि भी आभरण से मिलवा धराये जाते है.
खेल के साज में पट चीड़ का व गोटी फागुन की आती है.
आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
संध्या-आरती दर्शन उपरांत श्रीमस्तक व श्रीकंठ के आभरण बड़े किये जाते हैं. श्रीमस्तक पर रुपहली लूम-तुर्रा रुपहरी धराये जाते हैं.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : आनंदराय खेले फाग
राजभोग : अष्टपदी, रिझवत रसिक किशोर को
आरती : गोरी गोरी गुजरिया भोरी सी
शयन : कमल नयन को कौतिक
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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