व्रज – चैत्र शुक्ल द्वादशी, बुधवार, 13 अप्रैल 2022
विशिष्ट श्रृंगार एवं माखन चोरी की पिछवाई
- मल्लकाछ शब्द दो शब्दों (मल्ल एवं कच्छ) के मेल से बना है. ये एक विशेष परिधान है जो आम तौर पर पहलवान मल्ल (कुश्ती) के समय पहना करते हैं
- यह श्रृंगार पराक्रमी प्रभु को वीर-रस की भावना से धराया जाता है
श्रीजी दर्शन:
- साज: आज श्रीजी में माखन-चोरी लीला के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है
- एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र:
- श्रीजी को आज लाल सफ़ेद लहरियाँ के, सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित मल्लकाछ एवं इसी प्रकार लाल सफ़ेद लहरियाँ का रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित चोली एवं चड़ी आस्तीन का खुलेबंध का चाकदार वागा धराया जाता है
- आज पटका एक ही धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार:
- आज प्रभु को श्रीकंठ के श्रृंगार छेडान के तथा बाकी सब वनमाला का भारी श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हरे मीना एवं जड़ाव सोने के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर टिपारा का साज धराया जाता है जिसमें हरे सफ़ेद लहरियाँ की टिपारा की टोपी के ऊपर सिरपैंच, मध्य में मोरशिखा, दोनों ओर दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में हीरा के कुंडल धराये जाते हैं
- बायीं ओर मीना की चोटी (शिखा) धरायी जाती है
- कमल माला धरायी जाती हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ चैत्री गुलाब के पुष्पों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, फ़ीरोज़ा के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है
- पट लाल व गोटी बाघ-बकरी की आती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: झुण्डन गावत है ब्रज नारी
- राजभोग: घर घर ग्वाल देत है हेरी
- आरती: लक्ष्मण वर ब्रह्मधाम
- शयन: आनंद बधावनो श्री गोकुल राज के
- मान: कर मनुहार आए मुरार
- पोढवे: पोढ़े हरि राधिका के गेह
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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