नाथद्वारा (दिव्य शंखनाद)। वल्लभाचार्यजी के प्राकट्योत्सव के उपलक्ष्य में मन्दिर मण्डल के पुष्टिमार्गीय प्रकोष्ठ द्वारा वल्लभ विलास में हवेली-संगीत प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।
प्रतियोगी ने राग आसावरी ताल धमाल छाप रसिक प्रीतम, पद- ‘‘प्रीतबंधी श्रीवल्लभ पद सों और न मन में भावे हो’’ का गान किया तो श्रोताओं का मन श्रीवल्लभ के प्रति प्रीति भाव से भर गया। पुष्टि प्रसार अधिकारी दयाशंकर पालीवाल ने बताया कि संभाग भर की विभिन्न संस्थानों के विविध वर्ग के संभागियों ने अष्ट सखाओं के विभिन्न कीर्तनों-जो श्री वल्लभ प्रकट न होते वसुधा रहती सूनी, भाग्य सबन ते रानी तेरो, प्रकट भये तैलंग कुलदीप, बाजत आज बधाई, श्रीवल्लभ अवतार आदि का झाँझ, हारमोनियम और पखावज की संगत के संग सुमधुर गान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कीर्तनकारों के मुखिया बृजेश ने की जबकि मुख्य अतिथि वरिष्ठ कीर्तनकार भंवरलाल कुमावत थे।