व्रज – वैशाख कृष्ण त्रयोदशी, गुरुवार, 28 अप्रैल 2022
आज से प्रभु श्रीनाथजी को श्रीमहाप्रभुजी के उत्सव पश्चात बाल भाव के श्रृंगार धराये जाते है, श्रीजी के समक्ष कीर्तन भी बाल भाव के ही गाये जाते है
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- आज श्रीजी में श्री ठाकुरजी को पलना झुलाते नंद-यशोदा जी, नंदोत्सव एवं छठी पूजन के सुन्दर कलात्मक चित्रांकन की पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं
- वस्त्र:
- आज श्रीजी को लाल मलमल की धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है
- दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं
- ठाड़े वस्त्र हरी झाई के अमरसी रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार:
- आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर लाल मलमल की गोल-पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, सुनहरी चमक की गोल-चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में जड़ाव कर्णफूल धराये जाते हैं, मोती एवं माणक की हमेल धरायी जाती है
- श्रीकंठ में हालरा व बघनखा धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी तथा एक वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ भी हरे मीना की धराई जाती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
- पट लाल व गोटी चांदी की आती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: बल बल चरित्र मुरार
- राजभोग: जब मेरो मोहन चलेगो
- आरती: मेरे छगन मगन खेलो आँगन
- शयन: चलो मेरे लाडले हो पायन
- पोढवे: सोवत नींद आय गई श्याम
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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