उदयपुर (दिव्य शंखनाद)। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से आयोजित वार्षिक गाइड ओरिएंटेशन प्रोग्राम में आज मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के इतिहास विभाग की प्रोफेसर प्रतिभा जी ने मेवाड़ की सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन पर विविध जानकारियों से रू-ब-रू करवाया। जिसमें सिटी पेलेस म्यूज़ियम के 45 से अधिक गाइड्स ने भाग लिया।
सर्वप्रथम डॉ. प्रतिभा ने विरासतों पर प्रकाश डालते हुए धरोहरों के दो अलग-अलग रूप के बारे में समझाया जिसमें पहला मूर्त और दूसरा अर्मूत। मूर्त धरोहरों में प्राकृतिक धरोहर जिसमें नदी, पहाड़, झरने, झीलें आदि के साथ ही मानव निर्मित ऐतिहासिक धरोहरों में महल, हवेलियां, कुएं, बावड़ियां, मन्दिरों के कलाओं पर प्रजेन्टेंशन देते हुए विस्तार से समझाया।
मेवाड़ की सांस्कृतिक धरोहर एवं पर्यटन पर प्रो. प्रतिभा ने गाइड व्याख्यान में बताया कि सम्पूर्ण राजस्थान में पर्यटन व्यवसाय की ओर कई नई संभावनाएं है। मेवाड़ के धार्मिक पर्यटन स्थल, सांस्कृतिक पर्यटन, ऐतिहासिक पर्यटन स्थल, प्राकृतिक पर्यटन स्थल आदि पर सविस्तार प्रकाश डालते हुए मेवाड़ में शैव सम्प्रदाय के साथ-साथ वैष्णव सम्प्रदाय के मन्दिरों में सम्पन्न होने वाले दैनिक कीर्तन, भोग, दर्शन की परम्पराओं एवं विविध व्यवस्थाओं के साथ ही विशिष्ठ एवं त्योहारिक परम्पराओं आदि पर प्रकाश डाला।
महाराणा उदयसिंह द्वितीय के बसाये उदयपुर नगर की बसावट में जड़ियों की ओल, कुम्हारवाड़ा, मोचीवाड़ा, सुथारवाड़ा, वारियों की घाटी, गांचीवाडा के साथ ही परम्परागत पुस्तेनी कार्य को करने वाले तम्बोली, सिकलीगर, चित्रकार, रंगरेज-छिपा आदि पर गहनता से अपने विचार प्रस्तुत किये। उदयपुर की कई ऐतिहासिक हवेलियों में प्रो. प्रतिभा ने बागोर की हवेली, करजाली हवेली, शिवरती हवेली, वैष्णव, र्स्मात मन्दिरों व शक्तिपीठों आदि धार्मिक धरोहरों पर भी प्रकाश डाला। व्याख्यान के अंत में महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने प्रो. प्रतिभा का धन्यवाद करते हुए फाउण्डेशन की ओर से उपहार स्वरुप मेवाड़ की पुस्तकें आदि भेंट की।