व्रज: वैशाख शुक्ल त्रयोदशी, शनिवार, 14 मई 2022
आज का श्रृंगार नियम का है और विशेषताएँ
- आज त्रयोदशी हैं एवं कल चतुर्दशी भगवान नृसिंहजी की जयंती है अतः आज उत्सव के एक दिन पूर्व धराया जाने वाला आगम का हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- सामान्य तौर पर प्रत्येक बड़े उत्सव के एक दिन पूर्व लाल वस्त्र एवं पाग-चन्द्रिका का श्रृंगार धराया जाता है
- यह श्रृंगार अनुराग के भाव से धराया जाता है. इस श्रृंगार के लाल वस्त्र विविध ऋतुओं के उत्सवों के अनुरूप होते हैं. इसी श्रृंखला में आज प्रभु को गुलाबी रंग की धोती व राजशाही पटका धराया जायेंगा
- अभी ऊष्णकाल है और अभी लाल रंग का उपयोग नहीं के बराबर होता है अतः आज लाल के स्थान पर गुलाबी वस्त्र धराये जायेंगे
- कल नृसिंह चतुर्दशी है, पुष्टिमार्ग में भगवान विष्णु के सभी दशावतारों में से चार (श्रीकृष्ण, श्रीराम, श्रीनृसिंह एवं श्रीवामन) को मान्यता दी है इस कारण इन चारों अवतारों के जन्म दिवस को जयंती के रूप में मनाया जाता है
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- श्रीजी में आज गुलाबी रंग की मलमल की, रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है
- गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है
- इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी राग रंग के पधराये जाते है
- वस्त्र:
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज गुलाबी रंग की मलमल धोती एवं राजशाही पटका धराया जाता है
- दोनों वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित हैं
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को मध्य का (घुटने तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, मोर चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में मोती के के कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- हमेल की भांति दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, चांदी के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: आवत ललन पिया रस भरे
- राजभोग: चन्दन को महल चन्दन की झारी
- आरती: यह कोऊ जाने री बाकी
- शयन: तेरे री बदन कमल पर
- मान: तेरे भ्रोंह की मरोरन ते
- पोढवे: झीनो पट दे ओट
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
- भोग दर्शन में प्रभु सुखार्थ श्रीजी के सम्मुख शीतल जल के चांदी के फव्वारे चलाये जायेंगे एवं राजभोग उपरान्त हर घन्टे भीतर व संध्या आरती दर्शन उपरान्त डोल-तिबारी में भी शीतल जल का छिड़काव किया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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