डॉ. पी.सी. जैन का गाइड व्याख्यान
उदयपुर (दिव्य शंखनाद)। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से आयोजित वार्षिक गाइड ओरिएंटेशन प्रोग्राम में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ में समाजशास्त्र विभाग के पूर्व प्रोफेसर एवं हेड रहे डॉ. पी.सी. जैन ने ‘आदिवासी पर्यटन का महत्व एवं सम्भावनाएं’ पर व्याख्यान दिया।
व्याख्यान में सिटी पेलेस म्यूज़ियम के 50 से अधिक गाइड्स ने भाग लिया। डॉ. जैन ने बताया भारत देश विविधताओं भरा देश है। यहाँ भिन्न-भिन्न प्रदेशों में भिन्न-भिन्न आदिवासी जातियां निवास करती है। भारत में लगभग 461 जनजातियों अधिकृत रूप से सूचीबद्ध है जबकि 700 से अधिक जनजातियां भारत में निवास करती है। भारत में जनजातियों की संस्कृति, परम्पराएं, खान-पान, जीवनयापन के तौर-तरीकें आदि भिन्न-भिन्न हैं, सभी किसी न किसी रूप से अपनी अपनी भौगोलिक स्थिति से जुडे़ हुए है।

ये लोग प्रकृति पर निर्भर होते है और प्रकृति से ही जीवन-यापन के साधन जुटाते हैं। राजस्थान में आदिवासियों पर बात करते हुए डॉ. जैन ने बताया कि उत्तर-पूर्व में रहने वाले मीणा समुदाय एक सक्षम समुदाय है वहीं बारां-कोटा में रहने वाली सहरियां जनजाति की स्थिति खराब है।
भीलों पर अपने विचार रखते हुए डॉ. जैन ने कहा कि भील शब्द का अविर्भाव द्रविड़ भाषा के ‘बोल’ शब्द से हुआ, जिसका अर्थ ‘कमान’ से है। भीलों में स्त्री-पुरुष दोनों ही धनुर विद्या में पारंगत होते है। भीलों की देवी मोगरा व शीतला माता होती है, ये लोग अपनी-अपनी कुलदेवी और देवता की पूजा करते है।
व्याख्यान के अंत में महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने डॉ. पी.सी. जैन का धन्यवाद करते हुए फाउण्डेशन की ओर से उपहार स्वरुप मेवाड़ की पुस्तकें आदि भेंट की।