व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी, मंगलवार, 07 जून 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है
- जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है
आज की विशेषता: सायंकाल कली के श्रृंगार होंगे, विशेष सामग्री अरोगायी जायेगी.
- आज सायंकाल उत्त्थापन पश्चात् कली के आभरन धराए जायेंगे
- ये श्रृंगार प्रातः धराये गए वस्त्र एवं श्रृंगार के जैसे ही मोगरे की कलियों से बने होते है.
- ये श्रृंगार ब्रजवासियो एवं गोपियों द्वारा वन में प्रभु को किये गए फूलों के श्रृंगार के भाव से किये जाते है
- विशेष सामग्री में मीठा रोटी, दहीभात आदि अरोगाये जाते है.
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- श्रीजी में आज गुलाबी मलमल के वस्त्र की पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी बाघ बकरी वाली पधरायी जाती है.
- वस्त्र:
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को गुलाबी रंग की मलमल का पिछोड़ा धराया जाता है. पिछोड़ा रुपहरी किनारी से सुसज्जित होता है परन्तु किनारी बाहर आंशिक ही दृश्य होती है अर्थात भीतर की ओर मोड़ दी जाती है.
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर गुलाबी रंग का फेंटा का साज धराया जाता है. सिरपैंच, एक क़तरा, चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती के लोलकबिंदी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- हमेल की भांति दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, सुवा वाले वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: जै जै श्री यमुना कालिंदी नंदिनी
- राजभोग: गोविन्द लाडिलो लड़ बोरा
- आरती: चन्दन पहर नाव हरि बैठे
- शयन: सुन्दर जमुना तीर री
- मान: उठ चले बेग राधिका प्यारी
- पोढवे: नवल किशोर नवल नागरी
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
- भोग दर्शन में प्रभु सुखार्थ श्रीजी के सम्मुख शीतल जल के चांदी के फव्वारे चलाये जायेंगे एवं राजभोग उपरान्त हर घन्टे भीतर व संध्या आरती दर्शन उपरान्त डोल-तिबारी में भी शीतल जल का छिड़काव किया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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