व्रज – आषाढ़ कृष्ण अमावस्या, बुधवार, 29 जून 2022
नि.ली.गो. ति. श्री बड़े गिरधारीजी का उत्सव
- सभी द्वारों की दहलीज मंडे, आशापाल ले पत्तों की वन्दनमाल बंधे
- झारीजी में सभी समय जमना जल भरा जाता है
- दो समय की आरती थाली वाली की जाती है
- विशेष भोग गोपी वल्लभ में अरोगाया जाता है.बूंदी के नग विशेष.
श्रीनाथजी दर्शन:
- साज:
- आज श्रीजी में अधरंग (गहरी पतंगी) मलमल की बिना किनारी के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है, इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है,
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट उष्णकल का और गोटी हकीक की पधरायी जाती है
- वस्त्र:
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को अधरंग (गहरी पतंगी) मलमल का आड़बंद बिना किनारी का धराया जाता है
- श्रृंगार:
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) छेडान का ऊष्णकालीन श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण उत्सव के हीरा की प्रधानता वाले धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में दो जोड़ी मिलवा कर्णफूल धराये जाते हैं
- त्रवल की जगह कंठी आवे
- श्रीमस्तक पर अधरंग (गहरी पतंगी) गोल पाग, सिरपेच, लूम की किलंगी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ हरे एवं श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में तीन कमल की कमलछड़ी, सुवा वाले वेणुजी एवं कटि पर एक वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
- मंगला: आवत काल की सांझ देखो
- राजभोग: बधाई श्री वल्लभ नंदन रूप अनूप
- आरती: ललित ब्रज देश
- शयन: अरी हो या मग निकसी
- मान: आज सुहावनी रात
- पोढवे: प्रेम के पर्यंक पोढ़े
- कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है, जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है
- भोग दर्शन में प्रभु सुखार्थ श्रीजी के सम्मुख शीतल जल के चांदी के फव्वारे चलाये जायेंगे एवं राजभोग उपरान्त हर घन्टे भीतर व संध्या आरती दर्शन उपरान्त डोल-तिबारी में भी शीतल जल का छिड़काव किया जाता है
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जय श्री कृष्ण
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