व्रज – ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी, रविवार, 03 जुलाई 2022
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. सायंकाल में कली के श्रृंगार – ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
– श्रीजी को ज्येष्ठ कृष्ण तृतीया से आषाढ़ शुक्ल एकादशी तक प्रभु को मोगरे की कली के श्रृंगार धराये जाते हैं. इसमें प्रातः जैसे वस्त्र आभरण धराये जावें, संध्या-आरती में उसी प्रकार के मोगरे की कली से निर्मित अद्भुत वस्त्र और आभरण धराये जाते हैं. कली के श्रृंगार व्रजललनाओं के भाव से किये जाते हैं और इसमें ऐसा भाव है कि वन में व्रजललनाएं प्रभु को प्रेम से कली के श्रृंगार धराती हैं और प्रभु ये श्रृंगार धारण कर नंदालय में पधारते हैं.
आज के श्रीजी दर्शन : श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन : – श्रीजी में आज सुवापंखी रंग की किनारी के धोरा तथा रुपहरी किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है. – अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है. – गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है. – दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. – सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं. – खेल के साज में आज पट और गोटी बाघ बकरी की पधरायी जाती है. – आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा तक प्रतिदिन राजभोग दर्शन में प्रभु के सम्मुख चांदी का रथ रखा जाता है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : – वस्त्र सेवा में श्रीजी को फिरोजी रंग के किनारी के धोरा वाले सुथन पटका धराये जाते हैं. – ठाड़े वस्त्र गुलाबी मलमल के धराये जाते है. श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : – आज श्रीजी को छेडान का (कमर तक) ऊष्णकालीन हलका श्रृंगार धराया जाता है. – कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं. – श्रीमस्तक पर फिरोजी रंग का फेंटा धराया जाता है जिसके ऊपर बीच की चन्द्रिका एवं एक कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. – श्रीकर्ण में मोती के लोलकबिंदी कर्णफूल धराये जाते हैं. – श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं. – श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, गंगा जमुनी के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं. – प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है. – आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा : – मंगला : लाल माई बांधे कसुम्बी पाग – राजभोग : लाल उपरनी अति झीनी – आरती : लाडलो लडाय बुलावत धेन – शयन : दोउ जन बैठे कुञ्ज कुटीर – मान : मानु न कीजे री – पोढवे : चांपत चरण मोहन लाल भोग सेवा दर्शन : – श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है. – मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है. – श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
जय श्री कृष्ण
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