व्रज – श्रावण कृष्ण पंचमी, सोमवार, 18 जुलाई 2022
आज की विशेषता : अमरसी पिछोड़ा पर सेहरा का श्रृंगार. आज सिलमा सितारों का हिंडोलना.
- आज श्रीजी को इस ऋतु का अंतिम सेहरे का श्रृंगार धराया जायेगा. यह श्रृंगार कभी श्रावण कृष्ण पंचमी और कभी षष्ठी को धराया जाता है.
- गुरुवार 21 जुलाई श्रावण कृष्ण अष्टमी से जन्माष्टमी की बधाई बैठेगी, प्रभु को बालभाव के श्रृंगार अधिक धराये जायेंगे और सेहरा कुमारभाव का श्रृंगार है अतः आज के बाद आश्विन नवरात्री तक श्रीजी को सेहरा नहीं धराया जाता.
- आज के दिन सखियों ने साकेत वन में प्रिया-प्रीतम को सेहरे का श्रृंगार धराकर हिंडोलना झुलाया था इस भाव से यह श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- आज श्रीजी में साकेत वन में विवाह के भाव की लग्नमंडप के चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है जिसमें श्री ठाकुरजी के साथ श्री स्वामिनीजी एवं श्री यमुनाजी के सेहरे के श्रृंगार में दर्शन होते हैं और सखियाँ मंगल गीत गा रहीं हैं.
- गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है
- खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है, स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट केसरी और गोटी राग रंग की पधरायी जाती है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज अमरसी रंग की मलमल का पिछोड़ा और राज शाही पटका धराया जाता है. दोनों ही वस्त्र रुपहरी किनारी से सजे होते है.
- ठाड़े वस्त्र मेघ श्याम रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण उत्सव के फिरोजा के धराये जाते हैं
- कस्तूरी, कली आदि सभी माला धरायी जाती हैं
- श्रीमस्तक पर अमरसी रंग की (रुपहरी जरी की बाहर की खिडकी की) छज्जेदार पाग के ऊपर हीरा एवं मानक का सेहरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में फिरोजा के मकराकृति कुण्डल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ तुलसी एवं श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, फिरोजा के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी श्रृंगार में आरसी नित्यवत चांदी वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत:
- मंगला : प्यारी के गावत कोकिला मुख
- राजभोग : सखीरी सावन दुल्हे आयो
- हिंडोरा : झुलत दुल्हे दुल्हन संग, झुलत लाल है दूल्हा दुल्हन,
- यह सुख सावन में बनी आवे, लाल प्यारो झुलत है संकेत
- शयन : सुरंग हिंडोरे झूले
- मान : तू चल नन्द नंदन बन बोली
- पोढवे : तुम पोढो हो सेज बनाऊं
- विशेष: श्रावण कृष्ण 7 तक प्रतिदिन बाल लीला के पद। राजभोग में मल्हार व सांझ को हिंडोरा के पद गाये जाते है
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- सायंकाल में श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी में सिलमा सितारों के हिंडोलना के दर्शन होंगे.
- कमलचौंक में श्री मदनमोहन जी चांदी के हिंडोलने में झूलते हैं, उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं, आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं
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जय श्री कृष्ण
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