व्रज – श्रावण कृष्ण षष्ठी, मंगलवार 19 जुलाई 2022
आज की विशेषता: श्रीजी में आज नियम से श्याम रंग का पिछोड़ा और श्याम रंग के ग्वाल पगा का श्रृंगार धराया जाता है.
- जन्माष्टमी की बधाई से एक माह तक श्याम, बेंगनी, बादली इत्यादि रंग नहीं धराए जाते हे
- आज का यह श्रृंगार श्री यमुनाजी की प्रिय सखी श्यामाजी के भाव से होता है और आज की सेवा उन्हीं की ओर की है
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज श्याम रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है
- गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है
- खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है, स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट राग रंग का और गोटी बाघ बकरी की पधरायी जाती है
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज श्याम रंग की मलमल का सुनहरी किनारी से सजा पिछोड़ा धराया जाता है
- ठाड़े वस्त्र गहरे गुलाबी रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छेडान का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण सोने के धराये जाते हैं
- श्रीमस्तक पर श्याम रंग की ग्वालपाग (पगा) के ऊपर मोती की लूम, सुनहरी चमक (जमाव) की चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं
- श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं, आज कमल माला धरावे
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, सोने के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी श्रृंगार में आरसी नित्यवत चांदी वाली दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत:
- मंगला: श्याम और श्यामा बाहँ झोटी
- राजभोग: मानो कसोटी कसी देखो माई
- हिंडोरा: श्यामा श्याम खरे झुलत, झुले श्यामा श्याम हिंडोरे,
- झुलत श्याम पिया संग, झुलत लाल वृन्दावन
- शयन: ऐ झूले श्यामा प्यारी
- विशेष: श्रावण कृष्ण 7 तक प्रतिदिन बाल लीला के पद। राजभोग में मल्हार व सांझ को हिंडोरा के पद गाये जाते है
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी फूल-पत्ती के हिंडोलने में झूलेंगे. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं
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जय श्री कृष्ण
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