व्रज – वैशाख कृष्ण चतुर्थी
शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021
आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
मेरी जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को हरे सफ़ेद लहरियाँ के घेरदार वागा पर रूपहरी ज़री की
तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं गोल पाग का श्रृंगार धराया जायेगा.
श्रीजी दर्शन :
साज : श्रीजी में आज हरे सफ़ेद लहरियाँ की रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी के हांशिया से
सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती
है. जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
वस्त्र : आज प्रभु को हरे सफ़ेद लहरियाँ का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. सभी
वस्त्र रुपहली ज़री कीकिनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार : आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) का श्रृंगार धराया जाता है. कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण फ़िरोज़ा के धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर हरे सफ़ेद लहरियाँ की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल
धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ चैत्री गुलाब के पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
पट हरा व गोटी मीना की आती है. आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : धनि धनि माधो मास एकादशी
राजभोग : घर घर ग्वाल देत है हेरी
कांकर वार तैलंग तिलक
आरती : रावरें के कहे गोप आप ब्रज
शयन : भाग्य सबन ते न्यारो रानी
भक्ति सुधा बरखत हि प्रगटे
मान : तेरे री मनायवे ते निको
पोढवे : पोढ़ीये पिय कुंवर कन्हाई
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है.
श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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