व्रज – श्रावण शुक्ल द्वितीया, शनिवार, 30 जुलाई 2022
आज की विशेषता: आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज फिरोजी रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की किनारी की धोरेवाली पिछवाई सजाई जाती है
- गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है, खेल के साज पधराये जाते है
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है, स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है, एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में आज पट फिरोजी रंग का और गोटी बाघ-बकरी वाली पधरायी जाती है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज फिरोजी रंग के धोरा का सूथन और राजशाही पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं
- ठाड़े वस्त्र अमरसी रंग के धराये जाते हैं
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छेडान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण उत्सव के गुलाबी मीना के धराये जाते हैं.
- कमल माला धरायी जाती है.
- श्रीमस्तक पर फिरोजी फेंटा का साज धराया जाता है जिसमें फिरोजी रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत लाल एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं कटि पर दो वेत्रजी (एक सोना का) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत:
मंगला : वे देखो आवत मेह
- राजभोग : ब्रज को बसवो निको
- हिंडोरा : पूर्वी कान्हरो-बिहाग के पद
- शयन : मचक मचक झूले
- मान : मान न कीजे पिय
- पोढवे : पोढ़े रसिक पिय प्यारी
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- सायंकाल में श्रीजी के सम्मुख डोलतिबारी में श्री मदनमोहन जी लाल कमल के हिंडोलने में झूलते हैं. श्री मदनमोहनजी के सभी वस्त्र एवं श्रृंगार श्रीजी को धराये आज के श्रृंगार जैसे ही होते हैं
- सायंकाल में श्रीजी में स्वर्ण हिंडोलना में मदन मोहनजी व श्री नवनीतप्रियाजी में फल फूल के हिंडोलना के दर्शन होंगे.
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जय श्री कृष्ण
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