व्रज – भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वितीया, शनिवार, 13 अगस्त 2022
आज की विशेषता: नि.ली. श्री गोवर्धनलाल जी महाराज का उत्सव
- दिनभर झारीजी में यमुनाजल भरा जाता है.
- मंगला, राजभोग, संध्या व शयन में आरती थाली में की जाती है.
- गेंद, चौगान, दीवला सभी सोने के आते हैं.
- मंगला के पश्चात ठाकुरजी को चन्दन, आवंला, एवं फुलेल से अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है
- गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से श्रीजी को केशरयुक्त जलेबी के टूक एवं दूधघर में सिद्ध की गयी केशरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है
- भोग समय अरोगाये जाने वाले फीका के स्थान पर घी में तले बीज चालनी के सूखे मेवे अरोगाये जाते हैं.
- राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता अरोगाया जाता है
- आज राजभोग दर्शन में पिछवाई बड़ी करदी जाती है, राजभोग से संध्या-आरती तक में प्रभु सोने के बंगले में विराजते हैं.
- श्री नवनीतप्रियाजी भी आज प्रातः सोने के पलना में झूलते हैं, राजभोग में सोने के बंगले में विराजित हो दर्शन देते हैं और संध्या-आरती में अपने घर सोने के हिंडोलने में झूल कर श्री नवनीतप्रियाजी श्रीजी में पधारते हैं, शीतल अरोगते हैं और श्रीजी की गोद में विराजित हो उत्सव भोग अरोगते हैं. धुप, दीप, तुलसी समर्पित की जाती है.
- उत्सव भोग अरोगे उपरांत श्री नवनीतप्रियाजी और श्री मदनमोहनजी डोल-तिबारी में सोने के हिंडोलना में झूलते हैं.
- उत्सव भोग में प्रभु को विशेष रूप से भीगी हुई चने की दाल की मोहनथाल, केशरी मनोहर के लड्डू, केशर-युक्त घेवर, केशर-युक्त खोवा के गुंजा, केशर-युक्त चन्द्रकला (सूतर फेनी), दूधघर की मेवाबाटी, मूंग दाल के गुंजा, उड़द दाल की कचौरी, घी में तले काबुली चना, चना-दाल, फीकी सेव, दहीवडा, पांच प्रकार के शाक-आदि, मोयन की खस्ता पूड़ी, दूधघर में सिद्ध मावे के पेड़ा-बरफी, दूधपूड़ी (मलाई पूड़ी), केशर-युक्त बासोंदी, जीरायुक्त दही, खोया, मलाई, माखन, मिश्री, पतली पूड़ी, केशर-युक्त खीर, घी में तले बीज-चालनी के सूखे मेवे, विविध प्रकार के संदाना (आचार), विविध प्रकार के फलफूल और शीतल आदि अरोगाये जाते हैं
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज सखीभाव से खड़ी अष्टसखी के भाव से व्रज की गोपीजनों के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है
- गादी, तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी हरी मखमल वाली आती है
- स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी हरी मखमल वाली आती है
- पीठिका और पिछवाई के ऊपर रेशम के रंग-बिरंगे पवित्रा धराये जाते हैं
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा होता है
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं
- खेल के साज में पट केसरी, गोटी राग-रंग की व आरसी सोने की डांडी की आती है.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज केसरी मलमल पर सुनहरी ज़री की किनारी लगे सूथन, काछनी एवं गाती का पटका धराया जाता है
- ठाड़े वस्त्र सफेद जामदानी के धराये जाते हैं
- श्रृंगार
- प्रभु को आज वनमाला का चरणारविन्द तक का भारी श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची आदि सभी आभरण हीरे के धराये जाते हैं.
- कली, कस्तूरी और कमल माला धरायी जाती है.
- श्रीमस्तक पर टंकमां हीरा की टोपी व मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. – श्रीकर्ण में हीरे के मयुराकृति कुंडल धराये जाते हैं
- दो हार पाटन वाले धराए जाते हैं
- सफेद पुष्पों की एवं लाल गुलाब की थागवाली मालाजी धरायी जाती हैं
- श्रीहस्त में प्रभु के कमलछड़ी, हीरा के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ उत्सववत धराई जाती है
- श्रृंगार समय आरसी चार झाड की दिखाई जाती है
श्रीजी की राग सेवा के तहत:
- मंगला: प्रथम ही भादो मास अष्टमी
- राजभोग: सब ग्वाल नाचे गोपी गावे
- हिंडोरा:
- मनमोहन रंग बोरे झूलन आई, झुलत गिरधर लाल हिंडोरे
- आज लाल झुलत रंग भरे, जमुना तट नव सघन कुञ्ज
- ए दोऊ झुलत कुञ्ज कुटीर, ए दोऊ बांह जोटी किये
- झोटा तरल भए सो तू राख ले री
- शयन: भादो की अंधियारी
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
- संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी डोल तिवारी में हेम हिंडोलने (सोने के हिंडोलने) में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं.
- आज श्री नवनीतप्रियाजी श्रीजी में पधारेंगे हेम हिंडोलना में विराजित होकर झूलते है
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जय श्री कृष्ण
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