व्रज – आश्विन शुक्ल पंचमी, शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022
पाँचो विलास कियौ शयामाजू,
कदली वन संकेत ।
ताकी मुख्य सखी संजावलि,
पिया मिलनके हेत ।।१।।
चली रली उमगी युवती सब,
पूजन देवी निकसीं ।
धूप, दीप, भोग, संजावलि,
कमल कली सों विकसीं ।।२।।
आनँद भर नाचत गाबत,
वधू रस में रस उपजाती ।
मंडलमें हरी ततच्छि आये,
हिल मिल भये एकपाँती ।।३।।
द्वै युग जाम श्यामश्या
संग भाभिनी यह रस पीनौ ।
उनकी कृपा द्रष्टि अवलोकत,
रसिक दास रस भीनौ ।।४।।
पंचम विलास की भावना: आज पंचम विलास का लीला स्थल कदली वन निहित कुञ्ज है. आज के मनोरथ की मुख्य सखी संजावलीजी हैं और सामग्री दूधपुवा है.आज के श्रृंगार आभरण ऐच्छिक है.
- साज
- साज सेवा में आज श्याम रंग के छापा की चाँद-सितारे और सूर्य की छापवाली सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. जिसमें पीठिका के आसपास पुष्प-पत्रों का हांशिया बना है.
- गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पडघा पर बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- दिन में सभी समय झारीजी में यमुनाजल भरा जाता है.
- प्रभु के सम्मुख चांदी की त्रस्टीजी धरे जाते हैं जो कि दिन के अनोसर में ही धरे जाते हैं.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को श्याम छापा का, सुनहरी ज़री की किनारी वाला सूथन, श्याम रंग के छापा के वस्त्र पर रुपहली ज़री की किनारी वाले खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रीजी को आज छेड़ान का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्याम रंग का छापा के पगा के ऊपर सिरपैंच, चंद्रिका, लूम, तुर्री सुनहरी जरी की एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में स्वर्ण के लोलकबंदी धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला, कमल माला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्प छड़ी,स्वर्ण के वेणुजी और वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ स्वर्ण की धराई जाती है.
- खेल के साज में पट श्याम व गोटी बाघ बकरी की आती है.
श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: सुन्दर सांवरे जब मुरली अधर धरी
- राजभोग: वृन्दावन सघन कुञ्ज माधुरी लतान
- आरती: गोवर्धन गिर चढ़ टेरी
- शयन: आधार मधुर मुख रुख मोहन
- मान: आज सुहावनी रात
- पोढवे: मदन मोहन श्याम पोढ़े माई
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
कीर्तन – (राग : सारंग)
कहा कहो लाल सुघर रंग राख्यो मुरलीमें l
तान बंधान स्वर भेदलेत अतिजित
बिचबिच मिलवत विकट अवधर ll 1 ll
चोख माखनीकी रेख तामे गायन मिलवत लांबे लांबे स्वर l
बिच बिच लेत तिहारो नाम सुनरी सयानी,
‘गोविंदप्रभु’ व्रजरानी के कुंवर ll 2 ll
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जय श्री कृष्ण
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