राजसमन्द (दिव्य शंखनाद)। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव मनीष कुमार वैष्णव ने बताया कि माननीय अध्यक्ष महोदय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री आलोक सुरालिया द्वारा जिला कारागृह निरीक्षण के दौरान कारागृह में क्षमता से लगभग तीन गुना अधिक कुल 201 बंदी निरुद्ध मिले क्षमता से अधिक बंदी होने के कारण जिला न्यायाधीश ने चिन्ता व्यक्त की।
उन्होंने कारागृह प्रशासन को निर्देश दिये कि कारागृह में ऐसा कोई भी बंदी निरूद्ध नहीं रहे जिसके पैरवी हेतु अधिवक्ता नहीं हो प्रत्येक बंदी को पैरवी का अधिकार प्राप्त हो। उन्होंने नवीन प्रवेशित बंदियो से संवाद किया तथा सभी बंदियों ने अधिवक्ता नियुक्त होना बताया। कारागृह में कोई भी बंदी 18 साल से कम उम्र का निरूद्ध नहीं मिला। वक्त निरीक्षण बंदियों द्वारा दाल, कांचली की सब्जी व चपाती तैयार की जा रही थी जिला न्यायाधीश ने भोजन गुणवत्ता की जांच की और उन्होंने भोजन की गुणवत्ता के प्रति संतोष व्यक्त किया कारागृह में पेयजल की व्यवस्था के लिये वाटर कूलर लगा हुआ पाया गया।
कारागृह में कपड़े व कम्बल की धुलाई सप्ताह में एक बार होना बताया। कारागृह में सीवरेज लाईन नहीं है परन्तु उनके चैम्बर बनाए गए हैं। जिला न्यायाधीश ने कारागृह की साफ-सफाई, बंदियों के स्वास्थ्य, चिकित्सा सुविधा, भोजन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, पर्यावरण, विधिक सहायता, शिकायतों, पेरोल, संप्रेषण, पुस्तकालय, शिक्षा, कपड़ों, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, सीसीटीवी कैमरा, स्वीकृत पदों इत्यादि विषयों पर जानकारी प्राप्त की। बंदियों के मनोरंजन हेतु बैरक में टेलीविजन लगी हुई है तथा सुरक्षा के लिये लगाए गए सभी सीसीटीवी कैमरे क्रियाशील अवस्था में हैं। जिला न्यायाधीश ने बंदियों से वार्ता कर उनसे भोजन, पानी एवं अन्य व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की बंदियों को विभिन्न कानूनों की जानकारी भी प्रदान की गई। कारागृह में उपलब्ध नवीन वी.सी सेटअप को काम में लिया जा रहा है। बंदियों को निःशुल्क विधिक सहायता, पीड़ित प्रतिकर, राष्ट्रीय लोक अदालत, नालसा योजनाओ, अनुसूचित जाति/जनजाति के कल्याण एवं उनके संरक्षण हेतु अधिनियम, छुआछुत, बाल विवाह, नशा इत्यादि कुरीतियों के सबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी।