व्रज – आश्विन शुक्ल द्वादशी शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2022
विशेष: त्रयोदशी को क्षय होने के कारण श्री बालकृष्णजी का पाटोत्सव भी आज ही है
- प्रथम कार्तिक कृष्ण दशमी का प्रतिनिधि का श्रृंगार
- सभी बड़े उत्सवों के पहले उस श्रृंगार के प्रतिनिधि के श्रृंगार धराये जाते हैं. जिन्हें आगम के श्रृंगार भी कहते है.
- आगम का अर्थ उत्सव के आगमन के आभास से है कि प्रभु के उत्सव की अनुभूति मन में जागृत हो जाए कि उत्सव आने वाला है और हम उसकी तैयारी आरंभ कर दें.
- आज से दीपावली के उत्सव के आगम के श्रृंगार आरम्भ होते हैं.
- इसी श्रृंखला में पहला आगम का श्रृंगार कार्तिक कृष्ण दशमी का आज श्रीजी को धराया जाता है
- जिसमें श्वेत एवं सुनहरी ज़री से सुसज्जित साज, चीरा (ज़री की छज्जेदार पाग) एवं वस्त्र धराये जाते हैं और कर्णफूल का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- लगभग यही वस्त्र व श्रृंगार दीपावली के पूर्व की दशमी को भी धराये जायेंगे.
- इस श्रृंगार को धराये जाने का अलौकिक भाव भी जान लें.
- आज से अन्नकूट तक अष्टसखियों के भाव से आठ विशिष्ट श्रृंगार धराये जाते हैं.
- जिस सखी का श्रृंगार हो उनकी अंतरंग सखी की ओर से ये श्रृंगार धराया जाता है.
- आज का श्रृंगार विशाखाजी का है और उनकी प्रिय सखी आच्छादिकाजी की ओर से किया जाता है.
- साज
- साज सेवा में आज सफेद रंग की मलमल की पिछवाई धरी जाती है जो कि सुनहरी सिलमा-सितारा के ज़रदोशी का काम तथा सुनहरी कशीदे की पुष्पलता से सुसज्जित है
- गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है
- सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है
- खेल के साज में पट श्वेत गोटी छोटी सोने की आती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज श्वेत रंग की कारचोव के दोहरी (रुपहली और सुनहरी) ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं.
- पटका मलमल का धराया जाता हैं
- ठाड़े वस्त्र गहरे लाल रंग के दरियाई के धराये जाते हैं
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर रुपहली ज़री के चीरा (छज्जेदार पाग) के ऊपर सिरपैंच, लूम की सुनहरी किलंगी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- आज चार मालाजी धराई जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- आरसी श्रृंगार में सोने की छोटी एवं राजभोग में बटदार दिखाई जाती हैं.
- विशेष: अनोसर में चिरा (छज्जेदार पाग) बड़ी करके गोल पाग धराई जाती हैं.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: उरज्यो नीलाम्बर पीताम्बर में
- राजभोग: नागरी नागर सों मिल गावत
- आरती: धोख नारी मंडल मध नाचत गिरधारी
- शयन: निर्तत रास रंगा मंडल मध
- मान: माननी मान मेरो कह्यो
- पोढवे: चांपत चरण मोहन लाल
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है
राजभोग दर्शन कीर्तन (राग : सारंग)
नागरी नागरसो मिल गावत रासमें सारंग राग जम्यो l
तान बंधान तीन मूर्छना देखत वैभव काम कम्यौ ll 1 ll
अद्भुत अवधि कहां लगी वरनौ मोहन मूरति वदन रम्यो l
भजि ‘कृष्णदास’ थक्ति नभ उडुपति गिरिधर कौतुक दर्प दम्यो ll 2 ll
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जय श्री कृष्ण
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