व्रज – कार्तिक (गुजरती आश्विन) कृष्ण अमावस्या, मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022
संवत 2079 कार्तिक (गुजरती आश्विन) कृष्ण अमावस्या, मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022 के दिवस भारतवर्ष में ग्रस्तास्त खण्डग्रास सूर्यग्रहण है.
- इस दिन नाथद्वारा में स्पष्ट मान से दिनमान 25 घटी 22 पल सूर्योदय स्टैण्डर्ड 6 बजकर 38 मिनट और सूर्यास्त स्टैण्डर्ड 5 बजकर 59 मिनट है.
- नाथद्वारा में अमावस्या मंगलवार को श्रीनाथजी मंदिर द्वारा प्रकाशित टिप्पणी के अनुसार स्पर्श सायं 4 बजकर 35 मिनिट, मध्य 5 बजकर 35 मिनिट, मोक्ष 6 बजकर 29 मिनिट पर होगा. – पर्वकाल 1 घंटा 54 मिनिट का है.
- सोमवार की रात्रि को 3 बजकर 29 मिनिट से ही वेध लगेगा. अतः सोमवार रात्रि को 3 बजकर 29 मिनिट से पूर्व ही भोजन किया जा सकता है.
- मंगलवार को दिन में 12 बजकर 18 मिनिट के पूर्व तक ही जल पिया जा सकता है.
- बिना जनेऊ के बालक तथा छोटी कन्या दिन के 12 बजकर 18 मिनिट के पूर्व तक प्रसाद ले सकते है.
ग्रहण के कारण श्रीजी का सेवाक्रम कुछ परिवर्तित समय से इस प्रकार रहेगा. - ग्रहण के पूर्व सफेदी जैसे कि गादी, तकिया के खोल, मुखवस्त्र, अंगवस्त्र आदि सभी साज नये अर्थात कोरे साजे जाते है.
- सखड़ी रसोईघर, बालभोग आदि स्थलों तथा पात्रों की शुद्धि सदैव ग्रहण में जैसे की जाती है वैसे की जाती है.
- जहाँ प्रभु की सेवा सामग्री और साहित्य रखे जाते हैं ऐसे सर्वत्र स्थानों पर दर्भ रखी जाएगी क्योंकि दर्भ में ग्रहण का प्रवेश नहीं होता.
- इस दिन दोपहर 2 बजकर 15 मिनिट के लगभग श्रीजी को उत्थापन के निमित्त शंखनाद करके जगाये जायेंगे ताकि ग्रहण लगने से पूर्व ही संध्या आरती पर्यंत की सेवा हो जाए.
- श्रीजी की राजभोग की सखड़ी का पूरा महाप्रसाद गौमाता को भेजा जाता है.
- राजभोग के पश्चात प्रभु के आभरण बड़े करके मंगलावृत आभरण एवं वस्त्र धराऐ जाते है जिन्हें धारण कर प्रभु ग्रहण में बिराजेंगे.
- ग्रहण स्पर्श से कुछ मिनिट पूर्व झारीजी व बंटाजी को पटवस्त्र से उठाकर भीतर लिए जाते है और प्रभु ग्रहण में बिराजते है.
- ग्रहण के समय प्रभु के सम्मुख जप, पाठ, भजन आदि किये जाते है.
- ग्रहण के मध्य में सायं के 5 बजकर 35 मिनिट पर श्रीजी के सम्मुख उपस्थित हों तो श्री विशाल बावा अन्यथा मुखियाजी दान का संकल्प कर खिचड़ी का डबरा (घृत और दक्षिणा सहित) एवं गाय श्रीजी के मुख्य पंड्याजी को देते है.
- ग्रहण मोक्ष सायं 6 बजकर 29 मिनिट पर होगा पर्व काल 1 घण्टा 54 मिनिट का हे और इसके 4-5 मिनिट पश्चात मुखियाजी, भीतरिया, बालभोगिया आदि सेवक स्नान कर श्रमभोग व शयन भोग की सामग्री सिद्ध करेंगे.
- शुद्ध होकर नवीन जल से प्रभु की झारीजी भरी जाती है. इसके बाद श्री ठाकुरजी को स्नान कराकर श्रृंगार धरायें जायेंगे.
- इसके पश्चात श्रमभोग व शयन भोग में अनसखड़ी की सामग्री साथ ही धरी जाती है.
- अन्य सेवा नित्य अनुसार की जायेगी. दुसरे दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा बुधवार को नवीन जल से सर्व शुद्धि करके रीति अनुसार नित्य क्रम से राजभोग पर्यंत की सेवा करके अनोसर के पश्चात प्रसाद लिया जा सकेगा.
- प्रभु को अरोगाये जाने वाले ठोड़ आदि कई सामग्रियों के स्थान पर मगद के लड्डू अरोगाये जाएंगे.
- उल्लेखनीय है कि ग्रहणकाल में दूधघर में सिद्ध सामग्री, गौरस (दूध, दही, मावा), फल, सूखे अनाज और प्रभु को अरोगायी जा चुकी अनसखड़ी की सामग्रियां ग्रहण के प्रभाव से मुक्त होती है.
दीपावली उत्सव के दर्शन एवं ग्रहण दिन के दर्शनों का समय
- दिनांक- 24 अक्टूबर 2022
- मंगला- प्रातः 04.45 से लगभग 1.00 घंटे तक
- श्रृंगार- प्रातः 08.00 से लगभग आधा घंटे तक
- राजभोग- प्रातः 11.45 से लगभग 1.00 घंटे तक
- उत्थापन- सांय 4.00 से 20 मिनिट लगभग
- भोग-आरती सांय 5.15 से लगभग 1 घंटा
- शयन(हटड़ी दर्शन) सांय 7.00 से लगभग 45 मिनिट
- लक्ष्मीपूजन (श्री कृष्ण भण्डार में) रात्रि 8.30 से लगभग 1.30 घंटे तक
- दिनांक- 25 अक्टूबर 2022
- शंखनाद- प्रातः 4.15 बजे
- मंगला- प्रातः 5.00 बजे
- श्रृंगार- प्रातः 07.00 बजे
- राजभोग- प्रातः 10.00 बजे
- उत्थापन के शंखनाद- सांय 2.00 बजे
- भोग-आरती- सांय 3.00 बजे
- ग्रहण के दर्शन- सांय 04.35 से 06.29 तक
- ग्रहण का शुभ अशुभ फल:
- वृषभ, सिंह, धनु, मकर राशि वालों के लिए शुभ.
- मेष, मिथुन, कन्या, कुम्भ राशि वालों के लिए मध्यम.
- कर्क, तुला, वृश्चिक, मीन राशि वालों के लिए अशुभ.
- जिनका जन्म नक्षत्र स्वाति हो उनको विशेष अनिष्ट होने से उनको विशेष दान आदि करने चाहिए. एक कांस्य के पात्र में गरम पतला घी रखकर उसमे स्वर्ण का नाग, सूर्य बिम्ब रखकर उसमे मुख देखकर दक्षिणा सहित दान करें. इसका मन्त्र निम्न है.
- तमोमय महाभीमः सोम सूर्य विमर्दनह
- हेमतार प्रदानेन मम शांति प्रदोभव.
- विधुन्तुद नमस्तुभ्यम सिहिंकानन्दनाच्युत,
- दाने नानेन नागस्य रक्षमां वेध जाद् भयात.
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जय श्री कृष्ण
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