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श्रीनाथजी में आज ग्रस्तास्त खण्डग्रास सूर्यग्रहण, ऐच्छिक श्रृंगार

Divyashankhnaad by Divyashankhnaad
25/10/2022
in Uncategorized, नाथद्वारा, श्रीनाथजी दर्शन
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श्रीनाथजी में आज ग्रस्तास्त खण्डग्रास सूर्यग्रहण, ऐच्छिक श्रृंगार
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ग्रस्तास्त खण्डग्रास सूर्यग्रहण, ऐच्छिक श्रृंगार
व्रज – कार्तिक कृष्ण अमावस्या, मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022
श्वेत फूलकशाही ज़री के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग (चीरा) और चमकनी गोल चंद्रिका के शृंगार
जिन तिथियों के लिए प्रभु की सेवा प्रणालिका में कोई वस्त्र, श्रृंगार निर्धारित नहीं होते उन तिथियों में प्रभु को ऐच्छिक वस्त्र व श्रृंगार धराये जाते हैं.
ऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरण की इच्छा, ऋतु की अनुकूलता, ऐच्छिक श्रृंगारों की उपलब्धता, पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा एवं प्रभु के तत्सुख की भावना से मुखियाजी के स्व-विवेक के आधार पर धराये जाते हैं।
श्रीजी दर्शन –
साज – आज श्रीजी में श्वेत फूलकशाही ज़री की रुपहली ज़री की तुईलैस के हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. तकिया के ऊपर मेघश्याम रंग की एवं गादी एवं चरणचौकी के ऊपर लाल मखमल की बिछावट की जाती है.
वस्त्र – श्रीजी को आज लाल सलीदार ज़री पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, श्वेत फूलकशाही ज़री की चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर श्वेत फूलकशाही ज़री के चीरा (ज़री की गोल पाग) के ऊपर सिरपैंच, गोल चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं. श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
नवरत्न के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट रूपहरी व गोटी मीना की आती है.
…..,………….
ग्रस्तास्त खण्डग्रास सूर्यग्रहण
आज कार्तिक कृष्ण अमावस्या, मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022 सूर्यग्रहण है.
श्रीनाथद्वारा में ग्रहण का स्पर्श सायं 4 बजकर 35 मिनिट पर, मध्य 5 बजकर 35 मिनिट पर व मोक्ष 6 बजकर 26 मिनिट को होगा. ग्रहण का पर्वकाल (अवधि) 1 घंटा 54 मिनिट होगा. सोमवार, 24 अक्टूबर 2022 की रात्रि के 3 बजकर 26 मिनिट से वेध लगेगा अतः उसके पूर्व ही खाया जा सकेगा.
मंगलवार 25 अक्टूबर 2022 की दोपहर 12 बजकर 18 मिनिट के पूर्व ही जल पिया जा सकेगा.
बिना जनेऊ के बालक तथा छोटी कन्याऐं दोपहर 12 बजकर 18 मिनिट के पूर्व भोजन प्रसाद ले सकेंगे.
श्रीजी की राजभोग की सखड़ी गौमाता के लिए गौशाला पधारेगी.

दोपहर 2 बजकर 15 मिनिट पर श्रीठाकुरजी को उत्थापन के शंखनाद कर जगाया जाएगा जिससे ग्रहण पूर्व संध्या-आरती पर्यन्त की सेवा हो सके.

सफेदी आदि कोरी रखी जायेगी, सखड़ी रसोईघर, बालभोग आदि स्थल तथा पात्रों की शुद्धि ग्रहण के नियमानुसार की जाएगी.

रीति अनुसार सर्वत्र दर्भ धरी जाएगी.
विविध सूखे मेवा आदि धरे जाएंगे. तबकड़ी में नए बीड़ा भी धरे जाएंगे.
शैयाजी को साज बड़ा करके शैया मंदिर के झारी, बन्टा आदि खासा करके सूखे किये जायेंगे, शैया उठाकर जहां दर्भ रखनी शेष हो वहाँ भी दर्भ रखी जाएगी. जल के घड़ा आदि सभी पात्र शुद्ध व सूखे कर के रखे जाएंगे.
ग्रहण स्पर्श से चार-पाँच मिनिट पूर्व प्रभु सम्मुख से दूधधर का भोग सरा लिए जाएंगे.
झारी, बंटा को पटवस्त्र पकड़कर उठा लिए जाएंगे.

ग्रहण स्पर्श के पूर्व मंगला की भांति श्वेत दत्तू धराया जाएगा जिसमें केवल प्रभु के श्रीमुख के दर्शन होंगे.

ग्रहण स्पर्श समय दर्शन खोलकर प्रभु सम्मुख जप आदि किये जायेंगे.
ग्रहण के मध्य सायं 5 बजकर 35 मिनिट पर प्रभु के सम्मुख चिरंजीवी श्री विशाल बावा साहब के द्वारा दान का संकल्प करके मणिकोठा से खिचड़ी का डबरा, धृत का पात्र दक्षिणा सहित दिया जाएगा व गौदान भी किया जाएगा.
ग्रहण मोक्ष के उपरान्त चार-पांच मिनिट ठहर कर सभी सेवक स्नान आदि कर शुद्ध होकर नवीन जल से पात्र तथा स्थल खासा करके नए जल से झारी भरी जाएगी.
सामग्री सिद्ध होने को हो तब दर्शन बन्द कर प्रभु को स्नान करवाया जाता है और श्रमभोग के रूप में मान भोग व नित्य क्रम का शयनभोग धरा जायेगा. आज शयनभोग में अनसखड़ी की सामग्रियाँ ही धरी जाएगी.
तदुपरांत नित्य नियम से अनोसर की सेवा होगी.

Tags: divyashankhnaadnathdwaranathdwara newsnathdwara templeshrinathji darshanshrinathji mandirshrinathji nity darshanshringarSolar Eclipse
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