उदयपुर (दिव्य शंखनाद)। मेवाड़ के 60वें एकलिंग दीवान महाराणा अमरसिंह जी द्वितीय की 350वीं जयंती महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से मनाई गई। महाराणा का जन्म मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी, विक्रम संवत 1729 (वर्ष
1672 ई.) को हुआ था।
महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि महाराणा अमरसिंह द्वितीय 1698 ई. में गद्दीनशीनी हुई। महाराणा अमरसिंह द्वितीय को प्रशासनिक सुधारक के रूप में जाना जाता है। महाराणा के अपने पड़ौसी राज्यों से सदैव अच्छे संबंध रहे। महाराणा अमरसिंह ने जयपुर एवं जोधपुर के महाराजाओं को कई बार सहयोग प्रदान किया।
(राज्यकाल सन् 1698-1710 ई.) महाराणा ने राज्य में सरदारों के दर्जों का विभाग सोलह (प्रथम श्रेणी के) और बत्तीस (द्वितीय श्रेणी के) नियत कर उनकी जागीरें निश्चित कर दी थी, और जागीरों के नियम बनाकर उन्हें स्थिर कर दिया, परगनों का प्रबन्ध, दरबार का तरीका, सरदारों का बैठक और सीख के दस्तूर कायम किये, तथा जागीर आदि के निरीक्षण के नियम भी बनाये गये। दफ़्तर और कारखानों की अलग-अलग सुव्यवस्था की गई। प्रमुख निर्माण कार्यों में महाराणा ने शिव प्रसन्न अमरविलास (बाड़ी महल) का निर्माण संगमरमर के पत्थरों से करवाया जिसमें नक्काशीदार खंभे आदि हैं। महाराणा ने बड़ी पोल के दोनों तरफ गुम्बदों का निर्माण करवाया, पश्चिमी गुम्बद को घड़ियाल की छतरी और पूर्वी गुम्बद को नक्कार खाना की छतरी कहा जाता है। जैसे अद्वितीय कार्यों को पूर्ण करवाया।