व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण दशमी, शनिवार, 19 नवम्बर 2022
विशेष: प्रथम घटा (हरी)
- श्रीजी में शीतकाल में विविध रंगों की घटाओं के दर्शन होते हैं.
- घटा के दिन सर्व वस्त्र, साज आदि एक ही रंग के होते हैं. आकाश में वर्षाऋतु में विविध रंगों के बादलों के गहराने से जिस प्रकार घटा बनती है उसी भाव से श्रीजी में मार्गशीर्ष व पौष मास में विविध रंगों की द्वादश घटाएँ द्वादश कुंज के भाव से होती हैं.
- कई वर्षों पहले चारों यूथाधिपतिओं के भाव से चार घटाएँ होती थी परन्तु नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज ने निकुंजनायक प्रभु के सुख और आनंद हेतु सभी द्वादश कुंजों के भाव से आठ घटाएँ बढ़ाकर कुल बारह (द्वादश) घटाएँ कर दी जो कि आज भी चल रही हैं.
- इनमें कुछ घटाएँ नियत दिनों पर एवं अन्य कुछ ऐच्छिक है जो खाली दिनों में ली जाती हैं.
ये द्वादश कुंज इस प्रकार है – अरुण कुंज, हरित कुंज, हेम कुंज, पूर्णेन्दु कुंज, श्याम कुंज, कदम्ब कुंज, सिताम्बु कुंज, वसंत कुंज, माधवी कुंज, कमल कुंज, चंपा कुंज और नीलकमल कुंज. - जिस रंग की घटा हो उसी रंग के कुंज की भावना होती है. इसी श्रृंखला में हरित कुंज के भाव से आज श्रीजी में हरी घटा होगी.
- साज, वस्त्र, श्रृंगार, मालाजी आदि सभी हरे रंग के होते हैं.
- कीर्तन भी हरी घटा की भावना के गाये जाते हैं.
- सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में काफ़ी जल्दी हो जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज में श्रीजी में आज हरे रंग के दरियाई अर्थात साटन वस्त्र की पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर हरी बिछावट की जाती है.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को हरे रंग के दरियाई अर्थात साटन वस्त्र का रुपहली किनारी से सुसज्जित मोजाजी, सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र भी हरे रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- सभी आभरण पन्ना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर हरे रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, हरा रेशम का दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- हरे रंग के पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- पट हरा व गोटी हरे मीना की रखी जाती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- सायंकालीन सेवा में परिवर्तन:
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: हरी तुम हरे केवल चीर
- राजभोग: मेरो माई हरी नागर सो नेह
- आरती: आवत मोहन मान जू हर्यो
- शयन: मथुरा नगर की डगर में
- मान: हों तो वार डारो री तन मन
- पोढवे: लागत है अत शीत की निकी
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जय श्री कृष्ण
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