व्रज– मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी, रविवार, 04 दिसंबर 2022
- आज मोक्षदा, वैकुण्ठ एकादशी व गीता जयंती का व्रत है.
- ब्रह्म पुराण के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है. द्वापर युग में प्रभु श्रीकृष्ण ने आज के ही दिन अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था, इसीलिए आज का दिन गीता जयंती के नाम से भी प्रसिद्ध है.
- आज की एकादशी मोह का क्षय करनेवाली है, इस कारण इसका नाम मोक्षदा रखा गया है, इसीलिए प्रभु श्रीकृष्ण मार्गशीर्ष में आने वाली इस मोक्षदा एकादशी के कारण ही कहते हैं “मैं महीनों में मार्गशीर्ष का महीना हूं” इसके पीछे मूल भाव यह है कि मोक्षदा एकादशी के दिन मानवता को नई दिशा देने वाली गीता का उपदेश हुआ था.
- मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी से मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा तक पूर्णिमा को होने वाले घर (नियम) के छप्पनभोग उत्सव के लिए विशेष सामग्रियां सिद्ध की जाती हैं जिन्हें प्रतिदिन गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को अरोगाया जाता है.
- इसी श्रृंखला में श्रीजी को आज तवापूड़ी (इलायची, मावे व तुअर की दाल के मीठे मसाले से भरी पूरनपोली जैसी सामग्री जिसमें आंशिक रूप में कस्तूरी भी मिलायी जाती है) का भोग अरोगाया जाता है. यह सामग्री छप्पनभोग के दिवस भी अरोगायी जाएगी.
- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है परन्तु किरीट, खोंप, सेहरा अथवा टिपारा धराया जाता है. रुमाल एवं गाती का पटका भी धराया जाता है. श्रृंगार जड़ाऊ का धराया जाता है.
- प्राप्त जानकारी के अनुसार आज श्रीजी को फिरोज़ी साटन पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर लसनिया का जड़ाऊ कूल्हे पगा का साज धराया जाएगा.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में आज चितराम एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज फिरोज़ी रंग के साटन पर सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चाकदार वागा, चोली एवं मोजाजी धराये जाते हैं.
- पटका मलमल का धराया जाता हैं.
- लाल रंग का गाती का रुमाल (पटका) धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज वनमाला का चरणारविन्द तक का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण गुलाबी मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लसनिया का जड़ाऊ कूल्हे पर पगा का पान के ऊपर टीपारा का साज़ (मध्य में चन्द्रिका, दोनों ओर दोहरा कतरा) एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीकंठ में कस्तूरी, कली एवं कमल माला माला धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत, पीले एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में लहरिया के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट फिरोज़ी व गोटी चाँदी की बाघ-बकरी की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला: महामहोच्छव श्री गोकुल गाम
- राजभोग: देखो अद्भुत अवगत की गत
- आरती: विट्ठलनाथ बसत हिय जाके
- शयन: भक्ति सुधा बरखत ही प्रगटे
- मान: हों तो सो अब कहा कहू आली
- पोढवे: रुच रुच सेज बनाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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