व्रज – पौष शुक्ल द्वितीया, रविवार, 25 दिसंबर 2022
विशेष : आज सातवीं घटा पतंगी घटा है.
- श्रीजी में शीतकाल में विविध रंगों की घटाओं के दर्शन होते हैं. घटा के दिन सर्व वस्त्र, साज आदि एक ही रंग के होते हैं.
- आकाश में विविध रंगों के बादलों के गहराने से जिस प्रकार घटा बनती है उसी भाव से श्रीजी में मार्गशीर्ष व पौष मास में विविध रंगों की द्वादश घटाएँ द्वादश कुंज के भाव से होती हैं.
- कई वर्षों पहले चारों यूथाधिपतिओं के भाव से चार घटाएँ होती थी परन्तु गौस्वामी वंश परंपरा के सभी तिलकायतों ने अपने-अपने समय में प्रभु के सुख एवं वैभव वृद्धि हेतु विभिन्न मनोरथ किये.
- इसी परंपरा को कायम रखते हुए नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी महाराज ने निकुंजनायक प्रभु के सुख और आनंद हेतु सभी द्वादश कुंजों के भाव से आठ घटाएँ बढ़ाकर कुल बारह (द्वादश) घटाएँ (दूज का चंदा सहित) कर दी जो कि आज भी चल रही हैं.
- इनमें कुछ घटाएँ (हरी, श्याम, लाल, अमरसी, रुपहली व बैंगनी) नियत दिनों पर एवं अन्य कुछ (गुलाबी, पतंगी, फ़िरोज़ी, पीली और सुनहरी घटा) ऐच्छिक है जो बसंत-पंचमी से पूर्व खाली दिनों में ली जाती हैं.
- ये द्वादश कुंज इस प्रकार है :- अरुण कुंज, हरित कुंज, हेम कुंज, पूर्णेन्दु कुंज, श्याम कुंज, कदम्ब कुंज, सिताम्बु कुंज, वसंत कुंज, माधवी कुंज, कमल कुंज, चंपा कुंज और नीलकमल कुंज.
- जिस रंग की घटा हो उसी रंग के कुंज की भावना होती है. इसी श्रृंखला में आज श्रीजी में बैंगनी घटा होगी. साज, वस्त्र आदि सभी बैंगनी रंग के होते हैं. सर्व आभरण हीरे एवं मोती एवं स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- सभी घटाओं में राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिनों की तुलना में काफ़ी जल्दी हो जाता है.
श्रीजी दर्शन :- - साज सेवा में श्रीजी में आज पतंगी रंग की दरियाई की पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर पतंगी बिछावट की जाती है.
- स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- वस्त्र सेवा में आज श्रीजी को पतंगी रंग का दरियाई का सूथन, चोली, घेरदार वागा एवं मोजाजी धराये जाते हैं. ठाड़े वस्त्र भी पतंगी रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज छोटा कमर तक का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. – – सभी आभरण हीरा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर पतंगी रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, चमकना रूपहरी कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीमस्तक पर अलख धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल धराये जाते हैं.
- आज पचलड़ा एवं हीरा का हार धराया जाता है.
- एक श्वेत मनका की माला हमेल की भांति धराई जाती है.
- सभी समय गुलाब के पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में चांदी के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- खेल के साज में पट पतंगी व गोटी चांदी की आती है.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
संध्याकालिन सेवा : संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर हल्के आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर रुपहली लूम तुर्रा धराये जाते हैं. - श्रीजी की राग सेवा के तहत आज
मंगला : कमल सी अखियाँ लाल तिहारी
राजभोग : नेनन सोहे कजरा
आरती : छबीले तरुण मदमाते
शयन : आज सुहावनी रात
मान : कित लाइ इन गलियन
पोढवे : रंग महल सुखदाई
कीर्तनों का प्रभु के सन्मुख गायन किया जाता है. - श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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