व्रज – पौष शुक्ल पंचमी, मंगलवार, 27 दिसंबर 2022
विशेष : – श्रीजी में आज चतुर्थ एवं अंतिम मंगलभोग है. जैसा की विदित है श्रीजी को नित्य ही मंगलभोग अरोगाया जाता है परन्तु गोपमास व धनुर्मास में चार मंगलभोग विशेष रूप से अरोगाये जाते हैं.
- मंगलभोग का एक भाव यह भी है कि शीतकाल में बालकों को पौष्टिक खाद्य खिलाये जावें तो बालक स्वस्थ व पुष्ट रहते हैं इन भावों से प्रेरित ठाकुरजी को शीतकाल में मंगलभोग अरोगाये जाते हैं.
- इनकी यह विशेषता है कि इन चारों मंगलभोग में सखड़ी की सामग्री भी अरोगायी जाती है.
- एक और विशेषता है कि ये सामग्रियां श्रीजी में सिद्ध नहीं होती. दो मंगलभोग श्री नवनीतप्रियाजी के घर के एवं अन्य दो द्वितीय गृहाधीश्वर प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के घर के होते हैं. अर्थात इन चारों दिवस सम्बंधित घर से श्रीजी के भोग हेतु सामग्री मंगलभोग में आती है.
- आज द्वितीय गृहाधीश्वर श्री विट्ठलनाथजी के घर का दूसरा मंगलभोग है जिसमें वहाँ से विशेष रूप से अनसखड़ी में सिद्ध तवापूड़ी की छाब श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी के भोग हेतु आती है.
- श्रृंगार से राजभोग तक का सेवाक्रम अन्य दिवसों की तुलना में थोड़ा जल्दी होता है.
- आज द्वितीय पीठाधीश्वर श्री विट्ठलनाथजी के मंदिर में नित्यलीलास्थ गौस्वामी श्री गोपेश्वरलालजी का उत्सव है अतः प्राचीन परंपरानुसार आज श्रीजी प्रभु को धराये जाने वाले वस्त्र भी द्वितीय पीठाधीश्वर प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के घर से सिद्ध हो कर आते हैं.
- वस्त्रों के संग बूंदी के लड्डुओं की एक छाब भी श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी के भोग हेतु आती है.
- यह उल्लेखनीय है कि वर्षभर में लगभग सौलह बार द्वितीय गृह से वस्त्र सिद्ध होकर श्रीजी में पधारते हैं.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा में श्रीजी में आज केसरी रंग की साटन की रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज केसरी रंग की साटन का रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चाकदार वागा, चोली एवं मोजाजी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा में प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण माणक के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, क़तरा, सीधी चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में लाल मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी(एक स्वर्ण का) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- खेल के साज में पट केसरी एवं गोटी सोना की आती है.
- खेल के साज में पट केसरी व गोटी मीना की आती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : नैन भर देखो नन्द कुमार
- राजभोग : प्रीत बंधी श्री वल्लभ पद सों
- आरती : श्री गोकुल पति नमो नमो
- शयन : विट्ठलनाथ बसत जिय जाके
- मान : आज सुहावनी रात लालन मेरे आए
- पोढवे : रुच रुच सेज बनाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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