व्रज – माघ कृष्ण पंचमी, गुरूवार, 12 जनवरी 2023
विशेष: आज बसंत-पंचमी का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है. सभी बड़े उत्सवों के पहले उस श्रृंगार का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है.
- विक्रमाब्द 1970-71 में तत्कालीन परचारक श्री दामोदरलालजी ने प्रभु प्रीति के कारण अपने पिता और तिलकायत श्री गोवर्धनलालजी से विनती कर इस श्रृंगार की आज्ञा ली और यह प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया था.
- वस्त्र आदि इस रीती के धराये गये कि जैसे बसंतपंचमी आ गयी हो और प्रभु बसंत की गुलाल खेलें हों. तदुपरांत से यह श्रृंगार प्रतिवर्ष धराया जाता है.
- बसंत के पूर्व श्रीजी में गुलाल वर्जित होती है अतः पिछवाई एवं वस्त्रों लाल रंग के वस्त्रों को काट कर ऐसा सुन्दर भरतकाम किया गया है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि प्रभु ने गुलाल खेली हो.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सज्जा में आज श्रीजी में बसंतपंचमी का प्रतिनिधि का श्रृंगार धराया जाता है अतः साज एवं वस्त्रादि सभी पर अबीर, गुलाल एवं चौवा से खेले हों ऐसा भरतकाम किया गया होता है. सफ़ेद रंग की पिछवाई में लाल रंग के वस्त्रों को काटकर गुलाल की चिड़ियों के भरतकाम वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र दर्शन में आज श्रीजी को सफ़ेद साटन के आधार वस्त्र पर पीली, लाल, केसरी एवं श्याम रंग की टिपकियों के भरतकाम वाला सूथन, घेरदार वागा एवं चोली धराये जाते हैं.
- पटका श्वेत मोठड़ा का धराया जाता हैं.
- मोजाजी मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं जिसमें रंगीन टिपकियों का भरतकाम किया गया है.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण में आज श्रीजी में मध्य का घुटने से दो अंगुल नीचे तक का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण हीरा, पन्ना, माणक, मोती व स्वर्ण के मिलवा धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर श्वेत रंग की लाल एवं श्याम रंग की टिपकियों के भरतकाम वाली छज्जेदार पाग पर पट्टीदार सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में माणक के चार कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में स्वर्ण के बंटदार वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट चीड़ का व गोटी चाँदी की आती है.
- आज के दिन वस्त्र के छोगा, छड़ी भी आते हैं.
- आरसी दोनों समय बड़ी डांडी की दिखाई जाती है
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : मोहन सो मन मान्यो मेरो
- राजभोग : माई री आज और काल और
- आरती : बोलत श्याम मनोहर बैठे
- शयन : आलीरी कर श्रृंगार सायंकाल
- मान : नैनन ही में राखो पिया तोहे
- पोढवे : रंगमहल सुखदाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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