व्रज – माघ कृष्ण सप्तमी, शनिवार, 14 जनवरी 2023
ऐच्छिक श्रृंगार: आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
विशेष : कल श्रीजी में मकरसंक्रांति का पर्व है अतः मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व सभी पुष्टिमार्गीय मंदिरों में ‘भोगी संक्रांति’ का उत्सव मनाया जाता है.
- श्री नवनीतप्रियाजी को भोगी संक्रांति में मंगलभोग में विशेष रूप से सखड़ी में सिद्ध मूंगदाल के चीलड़ा एवं राजभोग में सखड़ी में बैंगन-भात, पकौड़ी की कढ़ी, खरखरी, बूरा व गुड अरोगाये जाते हैं.
- श्री नवनीत लाल को आज और कल दोनों दिन छींट के वस्त्र धराये जाएंगे.
- श्रीजी में केवल एक संक्रांति मनाई जाती है जो कि कल मनाई जाएगी.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सज्जा : श्रीजी में आज सिलमा सितारा के कशीदे के ज़रदोशी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज मेघश्याम साटन पर सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चागदार वागा, चोली एवं मोजाजी धराये जाते हैं.
- मोजाजी भी लाल फून्दों से सुसज्जित होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के दरियाई वस्त्र के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रीजी को आज छोटा (घुटनों तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण गुलाबी मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर मेघश्याम छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच जमाव का कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धरायी जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में गुलाबी मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट मेघ श्याम व गोटी चाँदी की बाघ बकरी वाली आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : जानन लागे री लालन
- राजभोग : सुधे कीन बोले कहा इतराने
- आरती : हों कह मिस जाऊं री खिरक
- शयन : काजल बिन कारी तेरी अँखियाँ
- मान : तेरी भ्रोहन की मरोरन ते
- पोढवे : रंगमहल सुखदाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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