व्रज – फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी, सोमवार, 06 मार्च 2023
विशेष :- आप सभी को अमर्यादा के अंगीकार के उत्सव होली उत्सव की खूब खूब बधाई.
- तिथियों तथा ग्रहों के संयोग के कारण होली उत्सव का श्रृंगार आज धराया जायेगा व
- सेवाक्रम भी श्रीनाथजी में आज ही किया जाएगा. कल फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 07 मार्च 2023 को श्रीजी की होली का दहन प्रातःकाल 6 बजकर 54 मिनट सूर्योदय के पूर्व किया जायगा. जानकारी के अनुसार बादशाह की सवारी का क्रम धूलिवंदन के दिन किया जाएगा.
श्रीनाथजी में सेवाक्रम :
- आज होली का उत्सव है. उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहलीजों को पूजन कर हल्दी मांडा जाता हैं. आशापाल के पत्तों की सूत की डोरीसे बनी वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- आज पूरे दिन झारीजी में यमुनाजल भरा जाता है. गद्दल, रजाई हरी साटन की आती है. आरती सभी समां में (मंगला, राजभोग, संध्या-आरती व शयन) थाली में की जाती है.
- आज के पर्व को बड़ा मानते हुए श्री स्वामिनीजी आज स्वयं प्रभु को अभ्यंग कराती हैं इस भाव से आज प्रभु को मंगला पश्चात चन्दन, आवंला, उबटन एवं फुलेल से दोहरा अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है एवं श्वेत नूतन वस्त्र धराये जाते हैं.
- आज प्रभु को नियम से पाग-चन्द्रिका, सूथन व घेरदार वागा धराये जाते हैं.
- फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा से श्रीजी में डोलोत्सव की सामग्रियां सिद्ध होना प्रारंभ हो जाती है. इनमें से कुछ सामग्रियां फाल्गुन शुक्ल नवमी से प्रतिदिन गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को अरोगायी जाती हैं और डोलोत्सव के दिन भी प्रभु को अरोगायी जायेंगी.
- इस श्रृंखला में आज श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में मीठे कटपूवा अरोगाये जाते हैं.
- इसके अतिरिक्त आज उत्सव के कारण प्रभु को दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी का भोग भी अरोगाया जाता है. राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता और सखड़ी में मीठी सेव व केशरयुक्त पेठा अरोगाये जाते हैं.
- राजभोग खेल में पिछवाई को गुलाल से पूरा रंगा जाता है और उस पर अबीर से चिड़िया मांडी जाती है. चंदवा पर चंदन छांटा जाता है. श्रीजी की दाढ़ी पर तीन बिंदी लगायी जाती है. प्रभु के सम्मुख चार पान के बीड़ा सिकोरी (स्वर्ण के जालीदार पात्र) में रखे जाते हैं.
- आज गुलाल, अबीर का खेल अन्य दिनों की तुलना में अत्यन्त भारी होता है. वैष्णवजनों पर भी गुलाल पोटली भर कर उड़ाई जाती है. गुलाल खेल इतना अधिक होता है कि पिछवाई और साज का मूल रंग दिखायी ही नहीं पड़ता.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- आज श्रीजी में राजभोग में सफ़ेद मलमल की सादी पिछवाई धरायी जाती है जिसके ऊपर गुलाल व अबीर से कलात्मक खेल किया जाता है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि रजत के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं. आज राजभोग के खेल में प्रभु की कमर पर एक पोटली गुलाल की बांधी जाती है.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को सफ़ेद लट्ठा का सूथन, चोली तथा घेरदार वागा धराये जाते हैं.
- पटका मोठड़ा का धराया जाता है जिसके दोनों छोर आगे की ओर रहते हैं.
- ठाडे वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं जिनपर गुलाल, अबीर आदि से खेल किया जाता है.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को मध्य का (छेड़ान से दो आंगुल नीचे तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण लाल, हरे, सफ़ेद व मेघश्याम मीना एवं जड़ाव स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर सफ़ेद छज्जेदार श्याम झाईं वाली पाग के ऊपर हरा पट्टीदार सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं. विशेष में श्रीकंठ में सात पदक, नौ माला धरायी जाती है. दो माला अक्काजी की धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ गुलाबी पुष्पों दो मालाजी धरायी जाती हैं. पीठिका के ऊपर भी गुलाब के पुष्पों की एक मोटी मालाजी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, स्वर्ण के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (स्वर्ण के बटदार व एक नाहरमुखी) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ उत्सववत मिलवा धराई जाती है.
- खेल के साज में पट चीड़ का एवं गोटी फागुन चांदी की आती है.
- आरसी दोनों समय बड़ी डांडी की आती है.
- संध्या कालिन सेवा :
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा सुनहरी धराये जाते हैं. गठेली की हमेल धरायी जाती है.
- विशेष : श्रीजी की एक अद्भुत परंपरा में होली के उत्सव के दिन शयन के दर्शन में परम्परागत रूप से श्री गोवर्धनधरण की दाढ़ी रंगी जाती है. अर्थात प्रेम से प्रभु की दाढ़ी पर गुलाल लगाकर डोलोत्सव की परंपरागत शुरुआत की जाती है.
- आज के दिन शयन में भी गुलाल खेल होता है और खूब गुलाल उड़ायी जाती है. आज शयन दर्शन में प्रभु को एक वेत्र श्रीहस्त में धरायी जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : हो हो होरी खेलन जैये
- अभ्यंग : खेलिए सुन्दर लाल होरी
- राजभोग : मदन गुपाल झुलत डोल, अद्भुत डोल बनी, हरी को डोल देख ब्रजवासी फूले
- आरती : कछु दिन नियरे ही रहो हरि होरी है
- शयन : ढोटा दोऊ राय के खेलत डोलत, गुलाल उड़े कोऊ भलो बुरो न माने
- पोढवे : गोकुल सकल गुवालिनी सब मिल
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
- श्रीजी के पाग एवं कपोल पर गुलाल अबीर से सुन्दर चित्रांकन किया जाता है.
- राजभोग के दर्शनों में भारी खेल होता है और दर्शनार्थी वैष्णवों पर फेंट से गुलाल अबीर उडाये जाते है.
- सायंकालिन भोग दर्शनों के भोग में खेल के साज के भोग अरोगाये जाते है जिसमे सूखे मेवा, फलों तथा दूधघर की सामग्रियों की अधिकता रहती है.
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जय श्री कृष्ण
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