व्रज – चैत्र कृष्ण तीज, शुक्रवार, 10 मार्च 2023
विशेष :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- आज श्रीजी में मेघश्याम ज़री की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि जडाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं. आज राजभोग के खेल में प्रभु की कमर पर एक पोटली गुलाल की बांधी जाती है.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को मेघश्याम रंग की ज़री का सूथन, चोली घेरदार एवं पटका वागा धराये जाते हैं.
- ठाडे वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छोटा (छेडान का) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर मेघश्याम रंग की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, चमकनी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्री कंठ में एक दुलडा और एक सतलड़ा धराया जाता है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि मीना के धराये जाते है.
- खेल के साज में पट मेघश्याम एवं गोटी चाँदी की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- संध्या कालिन सेवा :
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रुपहरी धराये जाते है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : पुजिये पाय तिहारे
- राजभोग : नन्द फूलन की चोखंडी
- आरती : कुसुम गुलाब महल में बैठे
- शयन : पहर री माल सुगंध गुलाब
- मान : छांड दे माननी श्याम संग रुठवो
- पोढवे : पोढ़े हरि राधिका के गेह
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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