व्रज – चैत्र कृष्ण सप्तमी, मंगलवार, 14 मार्च 2023
विशेष :- तिलकायत श्री इंद्रदमनजी महाराज के पौत्र व श्री विशाल बावा के पुत्र चि. श्री लाल गोविन्दजी (अधिराज बावा) के जन्मदिन की तिलकायत परिवार को ख़ूबख़ूब बधाई. आज प्रथम मार्कंडेय पूजा तिलकायत श्री के मुंबई स्थित आवास पर होगी.
- श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहलीज को पूजन कर हल्दी से मांडा जाता हैं. आशापाल के पत्तों से बनी सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
- आज प्रभु को चेती गुलाब की छड़ी गेंद बसंत वत विशेष धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में चेती गुलाब की छड़ी धरायी जाती हैं.
- आज राजभोग में चैत्री-गुलाब की छज्जे वाली बड़ी फूल मंडली आती हैं. आज पुरे दिन श्रीजी के सम्मुख खिरक विराजे. आज गोविंद शब्द वाले कीर्तन गाए जाते हैं.
- श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से मनमनोहर (केशर बूंदी) के लड्डू, दूधघर में सिद्ध की गयी केसरयुक्त बासोंदी की हांडी और चार विविध प्रकार के फलों के मीठा अरोगाये जाते हैं. राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता एवं सखड़ी में बड़े टुक पाटिया व छह-भात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात व नारंगी भात) अरोगाये जाते हैं. भोग में फीका की जगह चालनी अरोगायी जाती हैं.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- आज श्रीजी में गौचारण के भाव की सुन्दर चित्रांकन से सुशोभित पिछवाई धरायी जाएगी.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि जडाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को लाल सलीदार ज़री के सुनहरी एवं रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली और चाकदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र मेघस्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को मध्य का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण हीरा व पन्ना के उत्सववत धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग के दुमाला के ऊपर हीरा का सिरपैंच, सुनहरी भीमसेनी कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- कंठला एवं उत्सव की पन्ना की मालाये धरायी जाती है. हास की जगह पन्ना को कंठा एवं हीरा का त्रवल धराया जाता हैं. एक कली का हार एवं कमल माला धरायी जाती हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हीरा की मुठ के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि मीना के धराये जाते है.
- खेल के साज में पट लाल का एवं गोटी सोना की बाघ बकरी की आती है.
- आरसी बावा साहब वाली काँच के टुकड़ों की आती है.
- संध्या कालिन सेवा :
- संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण, मुकुट, टोपी, पीताम्बर, चोली व दोनों काछनी बड़े किये जाते हैं.
- शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर दुमाला रहे लूम-तुर्रा नहीं आवे.
- श्रीजी की राग सेवा:
- श्रीजी की राग सेवा के तहत आज गोविंद शब्द वाले कीर्तन गाए जाते हैं.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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