व्रज – चैत्र कृष्ण दशमी, शुक्रवार, 17 मार्च 2023
विशेष :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- आज श्रीजी में फिरोजी ज़री की हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि जडाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को फिरोजी ज़री का, रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली तथा घेरदार वागा और पटका धराये जाते हैं.
- ठाडे वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण गुलाबी मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर फिरोजी रंग की जरी की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, श्याम गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- एक दूलड़ा व नोलड़ा धराया जाता है
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, गुलाबी मीना के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि मीना के धराये जाते है.
- खेल के साज में पट फिरोजी एवं गोटी चांदी की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- संध्या कालिन सेवा :
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.
- शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर पगा रहे लूम-तुर्रा नहीं आवे.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : नैन उनींदे आये
- राजभोग : कुंवर बैठे प्यारी के संग
- आरती : मैया याते भई अवेर
- शयन : मिले पिय सांकरी गली
- मान : मान तज भामिनी
- पोढवे : दम्पति पोढ़ रस बतियाँ करत
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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