व्रज – चैत्र शुक्ल दशमी, शुक्रवार, 31 मार्च 2023
विशेष :- आज रामनवमी के परचारगी श्रृंगार है. यह सर्व विदित है कि श्रीजी में अधिकांश बड़े उत्सवों के एक दिन बाद परचारगी श्रृंगार होता है. यदि उपस्थित हों तो परचारगी श्रृंगार के श्रृंगारी श्रीजी के परचारक महाराज श्री विशाल बावा होते हैं. आज दिन में दो समय की आरती थाली में की जाती है. गेंद, चौगान, दिवाला आदि सोने के आते हैं.
- रामनवमी के अगले दिन आज श्रीजी में सम्पूर्ण रामलीला के चित्रांकन की पिछवाई आती है. यही पिछवाई श्रीजी में विजयादशमी के एक दिन पूर्व महा-नवमी के दिन भी धरायी जाती है.
आज पिछवाई के अलावा सभी वस्त्र एवं श्रृंगार पिछली कल की भांति ही होते हैं. इसे परचारगी श्रृंगार कहते हैं. आज भोग में सब नित्य क्रम ही रहता है. राजभोग में पीठिका पर पुष्पों का चौखटा धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- आज श्रीजी में सम्पूर्ण रामलीला के चित्रांकन की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि जडाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को कल की भांति केसरी जामदानी के सूथन, चोली तथा खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं.
- आज पटका नहीं धराया जाता.
- ठाड़े वस्त्र श्वेत जामदानी के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा की प्रधानता के धराये जाते हैं.
- नीचे पदक, ऊपर माला, दुलड़ा व हार उत्सववत धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर केसरी जामदानी की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, पांच मोरपंख की चंद्रिका की जोड़ एवं बायीं ओर हीरा एवं माणक के शीशफूल धराये जाते हैं.
- उत्सव की हीरा की चोटी धरायी जाती है. आज त्रवल के स्थान पर टोडर धराया जाता है. श्रीकंठ में कली, कस्तूरी आदि की माला आती हैं.
- श्रीकर्ण में उत्सव के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ चैत्री गुलाब के पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. पीठिका पर पुष्पों का चौखटा धराया जाता है.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हीरा के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट लाल, गोटी छोटी सोने की आती है.
- आरसी श्रृंगार में चार झाड़ की व राजभोग में सोना की डांडी की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : सुन सुत एक कथा
- राजभोग : बल बल आज की बानकी लाल
- आरती : राखी को अलक बीच बीच
- शयन : ऐ मोपे आज की बानक
- मान : आज निकी बनी राधिका नागरी
- पोढवे : राय गिरधरन संग राधिका रानी
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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