व्रज – चैत्र शुक्ल चतुर्दशी, बुधवार, 04 अप्रैल 2023
विशेष :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- आज श्रीजी में चौफूली चुन्दडी की रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि जडाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को चौफूली चुन्दडी के सूथन, चोली, पटका तथा चाकदार वागा धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र मेघ श्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज प्रभु को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हरे मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर चौफूली चुन्दडी के ग्वाल पगा के ऊपर सिरपैंच, लूम, पगा चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में लोलकबिंदी धराये जाते हैं. कमल माला धरावे.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ चैत्री गुलाब के पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, फिरोजा के वेणुजी दो वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- खेल के साज में पट लाल व गोटी चाँदी की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : नैन भर देखो नन्दकुमार
- राजभोग : पूत भयो री नन्दमहर के
- आरती : आज तो बधाई बाजे नन्द गोप राय के
- शयन : रावरे के कहे गोप आज ब्रज ब्रज धुनी
- मान : चढ़ बड बिडर गई री आली
- पोढवे : पोढ़ीये पिय कुंवर कन्हाई
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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