व्रज – वैशाख कृष्ण सप्तमी, बुधवार, 12 अप्रैल 2023
विशेष :- आज द्वितीय पीठाधीश्वर प्रभु श्री विट्ठलनाथ जी (नाथद्वारा) का पाटोत्सव है. आप सभी वैष्णवों को ख़ूबख़ूब बधाई. आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज लाल पिली चोफूली चूंदड़ी की रुपहरी ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि जडाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज प्रभु को लाल पिली चोफूली चूंदड़ी का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा और पटका धराये जाते हैं.
- सभी वस्त्र रुपहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण एक हीरा मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लाल रंग की चौफूली चूंदड़ी की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, गोल चंद्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकंठ में एक दुलड़ा एवं एक सतलड़ा धराया जाता हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ चैत्री गुलाब के पुष्पों की सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर आदि धराये जाते है.
- पट लाल व गोटी चाँदी की चिड़िया वाली आती है.
- रसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : सोहेलरा नन्द मेहर घर
- राजभोग : रति पथ प्रकट करन प्रकटे
- आरती : श्रीमद वल्लभ रूप सुरंगे
- शयन : चलो मेरे लाडले
- मान : हों तो सों कहा कहों आली
- पोढवे : पोढ़ीये लाल लाडली संग
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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