व्रज – आषाढ़ कृष्ण छठ, शुक्रवार, 09 जून 2023
विशेष :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज शरबती मलमल पर लाल छापा की रुपहरी किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- गादी, तकिया तथा चरणचौकी के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- चांदी के पडघा के ऊपर माटी के कुंजे में शीतल सुगन्धित जल भरा जाता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को शरबती मलमल पर लाल छापा की मलमल का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ये पिछोड़ा रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होता है.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छेडान का (कमर तक) ऊष्णकालीन हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर मलमल की छज्जेदार पाग के सिरपेंच और जमाव का कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में मोती के दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- सुन्दर माला हमेल की भांति भी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में चार कमल की कमलछड़ी, सुवा के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी हक़ीक की पधरायी जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : नैन उनींदे हो रंग राते
- राजभोग : सुनरी आली दुपहरी की बिरियाँ
- आरती : ललित सौरभ श्री वृन्दावन
- शयन : आज को दिन धन धन री माई
- मान : तेरे सुहाग की महिमा
- पोढवे : दंपत्ति पोढ़े रस बातियाँ करत
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
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जय श्री कृष्ण
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