व्रज – श्रावण कृष्ण पंचमी, शुक्रवार, 07 जुलाई 2023
विशेष :- आज का श्रृंगार नियम का श्रृंगार है. सायंकाल में श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी में चांदी के हिंडोलना के दर्शन होंगे.
- आज का उत्सव श्री यमुनाजी की ओर से होता है. श्री यमुनाजी और श्री गिरिराजजी के भाव से आज गहरे आसमानी रंग के वस्त्र एवं कुल्हे धरायी जाती है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज आज आसमानी रंग की मलमल की सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज आसमानी रंग की मलमल का सुनहरी लप्पा का पिछोड़ा धराया जाता है. यद्यपि पिछोड़ा में किनारी को भीतर की ओर इस प्रकार मोड़ दिया जाता है कि बाहर दृश्य ना हों.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को वनमाला का चरणारविन्द तक का ऊष्णकालीन श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरा के नित्य के धराये जाते हैं.
- कस्तूरी, कली आदि सभी माला धरायी जाती हैं.
- श्रीमस्तक पर आसमानी रंग की कुल्हे के ऊपर सिरपैंच, हीरा की तुर्री, सुनहरी घेरा एवं बायीं ओर हीरा के शीशफूल धराये जाते हैं.
- मीना की चोटीजी धरायी जाती हैं.
- श्रीकर्ण में हीरा के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, भाभीजी वाले वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट आसमानी और गोटी राग रंग की पधरायी जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी वाली वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : श्याम देख नाचे मुदित
- राजभोग : नयो नेह नयो मेह
- हिंडोरा : गृह गृह ते आयी ब्रज सुन्दरी
झुलत लाल गोवर्धनधारी
झुलत है राधा सुन्दर
झूलाय रंग हिंडोरे - शयन : माई झुलत रंग हिंडोरे
- मान : यह ऋतू रुसवे की नाही
- पोढवे : राय गिरिधरन संग राधिका
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
- सायंकाल में श्रीजी व श्री नवनीतप्रियाजी में चांदी के हिंडोलना के दर्शन होंगे.
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जय श्री कृष्ण
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