व्रज- अधिक श्रावण शुक्ल अष्टमी, बुधवार, 26 जुलाई 2023
आज की विशेषता :- पुरुषोत्तम (अधिक) मास चल रहा हे जो अधिक श्रावण के रूप में 16 अगस्त 2023 तक रहेगा. श्रीजी को पूरे अधिक मास में विविध प्रकार के मनोरथ हिंडोलना के साथ कर के लाड लड़ाए जा रहे है.
- क्योंकि अधिक मास की तिथियों के कोई नियत श्रृंगार नहीं होते है अतः एच्छिक श्रृंगार धराये जाते है. यह श्रृंगार प्रभु श्री गोवर्धनधरन की प्रेरणा और तत सुख की भावना से तिलकायत श्री की आज्ञा से धराये जाते है.
- आज के मनोरथ- प्रातः राजभोग में इलायची की मण्डली, शाम को माई फूलन को हिंडोरा बन्यो, प्रियाजी में प्रातः राजभोग में मोती का बंगला, संध्या को गायन सो वृज छायो के भाव का मनोरथ.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज लाल एक दानी चुन्दडी पर रुपहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- श्रीजी को आज लाल एक दानी चुन्दडी के रूपहरी किनारी वाले दोनों काछनी, सुथन और गाती का पटका धराये जाते है.
- ठाड़े वस्त्र श्वेत रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हरे मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर मुकुट का साज, जिसमे टोपी पर मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- कली कस्तूरी व कमल माला आवे
- श्रीकर्ण में मयुराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ लाल एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, हरे मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट लाल व गोटी मीना की पधरायी जाती है.
- आरसी उत्सववत दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा: श्रावण के भाव के कीर्तनों के साथ मनोरथों के भाव के कीर्तन भी गाये जाते है.
- मंगला : जन्माष्टमी की बधाई के पद
- राजभोग : मनोरथ की भावना के पद, गायन सो वृज छायो
- हिंडोरा : माई फूलन को हिंडोरो बन्यो, सो सावन आयो सेन काम की,
माई री झुलत सुरंग हिंडोरे, झुलत लाल वृन्दावन - शयन : झूलो तो सूरत हिंडोरे झुलाऊ
- मान : तू चल नन्द नंदन बन बोली
- पोढवे : तुम पोढो हो सेज बनाऊं
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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