व्रज – श्रावण शुक्ल एकम, गुरूवार, 17 अगस्त 2023
आज की विशेषता :- आज की सेवा श्रीरंगा सखी की ओर से होती है एवं वस्त्र-श्रृंगार नियम का हरे-श्वेत लेहरिया का पिछोड़ा और श्रीमस्तक पर लहरियाँ की छज्जेदार पाग और जमाव (नागफणी) के कतरे का धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज हरे एवं श्वेत रंग के लहरिया की सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद वस्त्रों की बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- श्रीजी को आज हरे एवं श्वेत रंग के लहरिया का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छेड़ान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण माणक के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर हरे एवं श्वेत लहरिया की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, जमाव (नागफणी) का कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत, लाल, गुलाबी रंगों के पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, झीने लहरिया के वेणुजी एवं दो वेत्रजी (झीने लहरिया व एक सोने के) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट हरा व गोटी चांदी की छोटी पधरायी जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : गरज गरज रिम झिम रिमझिम
- राजभोग : गहर गहर गाजे बदरा
- हिंडोरा : मचकर झूले लचकर, गौर श्याम धारण को, झुलत ललित कदम्ब तरे, घन घटा बन घटा
- शयन : झुलत तेरे नयन हिंडोरे
- मान : तू चल नन्द नंदन बन बोली
- पोढवे : तुम पोढो हो सेज बनाऊं
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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