व्रज – श्रावण शुक्ल द्वितीया, शुक्रवार, 18 अगस्त 2023
आज की विशेषता :- एच्छिक श्रृंगार. ताज बीवी की भावना से..
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज पीले रंग की मलमल पर रूपहरी ज़री की किनारी की धोरेवाली पिछवाई धरायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर सफ़ेद वस्त्रों की बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल लगी हुई होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- श्रीजी को आज पीले रंग के किनारी के धोरा का सुथन और राजशाही पटका धराया जाता है. दोनों वस्त्र रूपहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र हरे रंग के होते हैं.
- श्रृंगार
- प्रभु को आज छेड़ान का (कमर से थोडा नीचे तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी हरे मीना के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर पीले फेंटा का साज धराया जाता है जिसमें पीले रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, बीच की चंद्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
- श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं. कमल माला धरायी जाती है.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत, लाल, गुलाबी रंगों के पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, फ़िरोज़ा के वेणुजी और दो वेत्रजी(एक सोना का) धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट पीला रंग का व गोटी बाघ-बकरी की पधरायी जाती है.
- आरसी नित्यवत चांदी की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : वे देखो आवत मेह
- राजभोग : ब्रज को बसवो नीको
- हिंडोरा : पूर्वी कान्हरो, बिहाग के पद
- शयन : मचक मचक झूले
- मान : मान न कीजे पिय
- पोढवे : पोढ़े रसिक पिय प्यारी
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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