व्रज : वैशाख शुक्ल छठ, मंगलवार, 18 मई 2021
पुष्टिमार्ग की प्रधानपीठ नाथद्वारा में पुष्टिमार्गीय सेवा प्रणालिका के अनुसार श्रीनाथजी के आज के राग, भोग व श्रृंगार सहित दर्शन इस प्रकार है.
आज विशेषता :
आज ठाकुरजी अपनी अनन्य भक्त ताज़बीबी की भावना से सूथन-पटका का श्रृंगार धराते हैं. यह श्रृंगार ताज़बीबी की विनती पर सर्वप्रथम भक्तकामना पूरक श्री गुसांईजी ने धराया था. ताज़बीबी की ओर से यह श्रृंगार वर्ष में छह बार धराया जाता है. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) के दिन यह श्रृंगार नियम से धराया जाता है यद्यपि इस श्रृंगार को धराने के अन्य पांच दिन निश्चित नहीं हैं. ताज़बीबी बादशाह अकबर की बेग़म, प्रभु की भक्त और श्री गुसांई जी की परम-भगवदीय सेवक थी. उन्होंने कई कीर्तनों की रचना भी की है और उनके सेव्य स्वरुप श्री ललितत्रिभंगी जी वर्तमान में गुजरात के पोरबंदर में श्री रणछोड़जी की हवेली में विराजित हैं.
आज के श्रीजी दर्शन :
श्रीजी की आज की साज सेवा के दर्शन :
- श्रीजी में आज फिरोज़ी धोरा के रंग की मलमल की रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- दो पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट उष्णकाल का और गोटी बाघ-बकरी की पधरायी जाती है.
श्रीजी को धराये जाने वाले वस्त्रों के दर्शन : - वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज फिरोज़ी धोरा के रंग की मलमल का धोरे (थोड़े-थोड़े अंतर से किनारी के धोरे) वाला सूथन और राजशाही पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के होते हैं.
श्रीजी को धराये जाने वाले श्रृंगार आभरण के दर्शन : - आज श्रीजी को मध्य (घुटने तक) का उष्णकालीन छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है. –
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती केधराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर फिरोज़ी धोरा के रंग के फेंटा के ऊपर सिरपैंच, चंद्रिका, कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में लोलकबिन्दी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, गंगा जमुनी के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
श्रीजी की राग सेवा : - मंगला : आम बेचन आयी मैया कोऊ
- राजभोग : बन्यो है वामना चन्दन को वागो
- आरती : अहो कान्ह गैया कित बिडरानी
- शयन : आज को दिन धन धन री माई
- पोढवे : चांपत चरण मोहन लाल
भोग सेवा दर्शन : - श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में श्रीजी की आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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