व्रज – भाद्रपद कृष्ण छठ, मंगलवार, 05 सितम्बर 2023
आज की विशेषता :- आज श्रीजी में जन्माष्टमी की पानघर की सेवा की जाती हैं.
- आज सभी समय झारीजी में यमुनाजल आता है. तकिया आज लाल काम वाले आते है.
- आज श्रीजी में जन्माष्टमी की पानघर की सेवा की जाती हैं.
- आज प्रभु को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में मेवाबाटी (मेवा मिश्रित खस्ता ठोड़) अरोगायी जाती है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- साज सेवा के तहत श्रीजी में आज मलमल की हरे और श्वेत रंग के लहरिया की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया के ऊपर लाल मखमल की बिछावट की जाती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
- दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज हरे और श्वेत लहरिया का पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र लाल रंग के होते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो श्रीजी को आज छोटा हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण माणक तथा जड़ाव स्वर्ण के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर हरे-सफेद लहरिया की पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम, सुनहरी जमाव का कतरा एवं सुनहरी तुर्री तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में माणक के कर्णफूल धराये जाते हैं. श्रीकंठ में हार एवं दुलड़ा धराया जाता हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- इसी प्रकार की दो मालाजी हमेल की भांति भी धरायी जाती है.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
- खेल के साज में पट शतरंज का हरा एवं गोटी स्वर्ण की शतरंज की धराई जाती हैं.
- आरसी श्रृंगार में सोना की एवं राजभोग में सोना की डांडी की दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : मोद विनोद आज गृह नन्द
- राजभोग : सब ग्वाल नाचे गोपी गावे
- आरती : चलो मेरे लाडिले हो पायन
- शयन : अंधियारी भादो की रात
- पोढवे : गृह आवत गोपीजन
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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