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श्रीनाथजी में आज छठ्ठी उत्सव, पिछोड़ा व मोर चन्द्रिका का श्रृंगार

Divyashankhnaad by Divyashankhnaad
06/09/2023
in नाथद्वारा, श्रीनाथजी दर्शन
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श्रीनाथजी में आज छठ्ठी उत्सव, पिछोड़ा व मोर चन्द्रिका का श्रृंगार
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भाद्रपद कृष्ण सप्तमी, बुधवार 06 सितम्बर 2023

आज की विशेषता :- आज छठ्ठी उत्सव की विशेष सेवा होती है, कुछ परिवर्तन भी होते है.

  • आज तीन समां की आरती थाली में की जाती है.
  • आज सभी समय झारीजी में यमुनाजल आता है.
  • आज ऊष्णकाल की सेवा का अंतिम दिन होने से गुलाबदानी एवं माटी का कुंजा अंतिम बार धरे जाएंगे.
  • कल से गुलाबदानी, कुंजा, चन्दन की बरनी, अंकुरित मूंग, चने की दाल, मूंग की दाल, शीतल आदि (जो अक्षय तृतीया से प्रभु को प्रतिदिन संध्या-आरती में अरोगाये जा रहे थे) भोग में नहीं आयेंगे.
  • आज श्रीजी में पिछवाई, पलंगपोश, सूजनी, खिलौने, चौपाट, आरसी आदि बदल के उत्सव का नया साज लिया जाता है.
  • एक छाब में जन्माष्टमी के दिवस धराये जाने वाले नये वस्त्र, इत्र की शीशी, गुंजा माला, कुल्हे जोड़, श्रीफल, भेंट-न्यौछावर के सिक्के आदि तैयार कर के रखे जाते हैं.
    प्रतिवर्ष जन्माष्टमी के दिवस केसरी वस्त्र, गुंजा की माला एवं कुल्हे जोड़ नयी धरने की रीत है.
  • जन्माष्टमी के दिवस पंचामृत के लिए दूध, दही, घी, शहद एवं बूरा आदि भी साज के रखना होता है. कुंकुम, अक्षत और हल्दी आदि भी तैयार कर लिए जाते है.
  • भोग में आज श्रीजी को विशेष रूप से गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में केशरिया घेवर अरोगाया जाता है.

श्रीजी दर्शन:

  • साज
    • साज सेवा के तहत श्रीजी में आज पीले रंग की मलमल की रुपहली ज़री के हांशिया (किनारी) वाली पिछवाई धरायी जाती है.
    • खण्डपाट सहित सभी साज भी पीले रंग के आते हैं.
    • अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, तीन पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है. इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
    • गादी, तकिया के ऊपर लाल मखमल बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी हरी मखमल वाली आती है.
    • आज तकिया के खोल जड़ाऊ स्वर्ण काम के आते हैं.
    • दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है. एक अन्य चांदी के पडघाजी पर माटी के कुंजा में शीतल सुगंधित जल भरा होता है.
    • दो गुलाबदानियाँ गुलाब-जल भर कर तकिया के पास रखी जाती हैं.
    • सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
  • वस्त्र
    • वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज लाल रंग का डोरिया का रूपहरी किनारी का पिछोड़ा धराया जाता है.
    • ठाड़े वस्त्र पीले रंग के होते हैं.
  • श्रृंगार
    • श्रीजी को आज छेड़ान का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
    • कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हीरे तथा जड़ाव स्वर्ण के धराये जाते हैं.
    • श्रीमस्तक पर लाल रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है.
    • श्रीकर्ण में हीरा के कर्णफूल धराये जाते हैं.
    • नीचे चार पान घाट की जुगावली एवं ऊपर मोतियों की माला धरायी जाती हैं.
    • वल नहीं धरावें परन्तु हीरा की बघ्घी धरायी जाती है.
    • श्रीजी को फूलघर की सेवा में गुलाब के पुष्पों की एक मालाजी एवं दूसरी श्वेत पुष्पों की कमल के आकार की मालाजी धरायी जाती है.
    • श्रीहस्त में कमलछड़ी, विट्ठलेशजी वाले वेणुजी और दो वेत्रजी (एक स्वर्ण का) धराये जाते हैं.
    • प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराये जाते हैं.
    • खेल के साज में पट उत्सव का एवं गोटी जड़ाऊ स्वर्ण की आती हैं.
    • आरसी श्रृंगार में लाल मख़मल की व राजभोग में सोने की डांडी की आती है.
  • श्रीजी की राग सेवा:
  • मंगला : झगरन ते हो बहुत खिजाई
  • राजभोग : ब्रज भयो महर के पूत
  • ऐ री ऐ आज नन्दराय के
  • आरती : जन्म दिन लाल को
  • शयन भोग : आज छटी जसुमत के सुत
  • मंगल द्योस छटी
  • पोढवे : गृह आवत गोपीजन
  • श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
  • मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
  • श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.

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जय श्री कृष्ण
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