व्रज – भाद्रपद शुक्ल तीज, सोमवार, 18 सितम्बर 2023
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्रीगोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज गुलाबी की मलमल की रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित पिछवाई सजाई
- जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है.
- इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया पर सफ़ेद व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद मखमल होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज गुलाबी मलमल का रुपहरी किनारी से सजा धोती पटका धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छेडान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण मोती के धराये जाते हैं. चार मालाजी धराई जाती है.
- श्रीमस्तक पर गुलाबी गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, रेशम का दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत, गुलाबी व पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, फिरोजा के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी धराये जाते हैं.
- खेल के साज में आज पट गुलाबी और गोटी मीना की पधरायी जाती है.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : रावल मांझ बाजत बधाई, जब ते राधा प्रकट भई
- श्रृंगार : वृषभान के हो आँगन मंगल
- राजभोग : चलो वृषभान गोप के द्वार
- उत्थापन : गोकुल ते गाजत बाजत
- आरती : श्री वृषभान राय जू के आँगन
- शयन : श्री वृषभान राय गृह प्रगटी राधा
- पोढवे : गृह आवत गोपीजन
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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