व्रज – भाद्रपद शुक्ल दूज, रविवार, 17 सितम्बर 2023
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्रीगोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन:
- साज
- श्रीजी में आज हरे सफ़ेद लहरिया की मलमल की सुनहरी ज़री की किनारी से सुसज्जित
- पिछवाई सजाई जाती है.
- अन्य साज में गादी, तकिया, चरणचौकी, दो पडघा, त्रस्टी प्रभु के समक्ष पधराये जाते है.
- इनके अलावा खेल के साज पधराये जाते है.
- गादी, तकिया पर सफ़ेद व स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल होती है.
- दो स्वर्ण के पडघा में से एक पर बंटाजी व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर चांदी की त्रस्टी धरे जाते हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज हरे सफ़ेद लहरिया की मलमल का सुनहरी किनारी से सजा
- पिछोड़ा धराया जाता है.
- ठाड़े वस्त्र अमरसी रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छेडान का (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण हरे मीना के धराये
- जाते हैं. कमल माला धराई जाती है.
- श्रीमस्तक पर हरे सफ़ेद लहरिया की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का कतरा, तुर्री
- एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजामाला के साथ श्वेत, गुलाबी व पीले पुष्पों की
- रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं कटि पर वेत्रजी जिनमे एक स्वर्ण के होते है
- धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आभरण से मिलवा धराई जाती है.
- खेल के साज में आज पट हरा और गोटी मीना की पधरायी जाती है.
- आरसी नित्यवत दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : बरसाने बर सरोवर प्रगट्यो, आज बधाई है बरसाने
- श्रृंगार : जन्म लियो वृषभान गोप के
- राजभोग : महारस पूरन प्रगट्यो आन, बरसाने वृषभान गोप के
- भोग : धन धन प्रभावती जी आई
- आरती : मेरे मन आनंद भयो,
- शयन : काम केलि कनक बेली
- पोढवे : गृह आवत गोपीजन
- श्रीजी को दूधघर, बालभोग, शाकघर व रसोई में सिद्ध की जाने वाली सामग्रियों का नित्य नियमानुसार भोग रखा जाता है.
- मंगला राजभोग आरती एवं शयन दर्शनों में आरती की जाती है.
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है.
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जय श्री कृष्ण
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