व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण छठ, रविवार, 03 दिसंबर 2023
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है. इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- साज सेवा में श्रीजी में आज फिरोजी रंग की साटन की रुपहरी जरी के जरदोशी के काम वाली फिरोजी आधार वस्त्र पर रुपहली ज़री के जरदोशी के हांशिया से सुसज्जित शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है एवं स्वरुप के सम्मुख लाल रंग की तेह बिछाई जाती है.
- चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं.
- पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि व अंगीठी धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज फिरोजी रंग की साटन का रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित सूथन, चाकदार वागा, चोली एवं लाल हांशिया वाले मोजाजी धराये जाते हैं.
- ठाड़े वस्त्र पतंगी रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- श्रृंगार आभरण सेवा के दर्शन करें तो प्रभु को आज छेडान का हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला आदि सभी आभरण माणक के धराये जाते हैं.
- कमल माला धराई जाती है.
- श्रीमस्तक पर फिरोजी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का कतरा, तुर्री एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला व कमल माला के साथ श्वेत एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में लाल मीना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर धराये जाते है.
- खेल के साज में पट फिरोजी व गोटी मीना की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : हरे सब कदम्ब चढ़ाए बसन
- राजभोग : अरे दार दे रे इन डूरीया
- आरती : लाल की रस माधुरी नैनन विहार
- शयन : मेंरे तो कान्ह हे री प्राण
- मान : सब ही न में ते सों प्राण
- पोढवे : लागत है अत शीत की निकी
सायंकालिन सेवा भावना :
- संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
जय श्री कृष्ण
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